विश्व तंबाकू निषेध दिवस : तंबाकू से हर साल 90 हजार लोगों की मौत

Last Updated 31 May 2020 01:11:02 PM IST

मध्य प्रदेश में तंबाकू की बढ़ती लत कई गंभीर बीमारियों का कारण बनती जा रही है। राज्य में हर साल लगभग एक लाख बच्चों और युवाओं द्वारा किसी न किसी रूप में तंबाकू के सेवन की शुरुआत कर दी जाती है वहीं लगभग 90 हजार लोगों की मौत का कारण तंबाकू जनित बीमारी बनती है।


केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कई एहतियाती कदमों के बावजूद तंबाकू उत्पाद कंपनियों द्वारा कई लुभावने तरीके अपनाए जाते हैं और उसका नतीजा है कि युवाओं और नई पीढ़ी में तंबाकू का उपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। वर्तमान में तंबाकू उपयोगकर्ता कोरोना संक्रमण फैलाने का कारण बन सकते हैं, लिहाजा राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2020 में वर्ल्ड नो टोबेको डे (विश्व तंबाकू निषेध दिवस) की थीम 'युवाओं को तंबाकू इंडस्ट्री के हथकंडे से बचाना और उन्हें तंबाकू और निकोटिन के इस्तेमाल से रोकना" रखा है। इस दौरान युवा वर्ग को किसी भी तरह के तम्बाकू का उपयोग करने से हतोत्साहित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम पर जोर दिया जाएगा।

यूनाइटेड डॉक्टर्स फेडरेशन के महासचिव डॉ. ललित श्रीवास्तव ने कहा, "तंबाकू का धुआं इनडोर प्रदूषण का बहुत खतरनाक रूप है, क्योंकि इसमें सात हजार से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 69 रसायन कैंसर का कारण बनते हैं। तंबाकू का धुआं पांच घंटे तक हवा में रहता है, जो फेफड़ों के कैंसर, सीओपीडी और फेफड़ों के संक्रमण को बढ़ाता है।"

उन्होंने आगे कहा धूम्रपान करने वालों को कोरोना संक्रमण का खतरा भी अधिक है, क्योंकि वह बार-बार सिगरेट व बीड़ी को मुंह में लगाते हैं। धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों की कार्य-क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे कोरोना संक्रमण होने पर मौत की संभावना कई गुणा तक बढ़ जाती है।

डॉ़ श्रीवास्तव बतातें है कि जब कोई व्यक्ति सिगरेट का सेवन करता है, तो उसका धुंआ शरीर के अच्छे कोलेस्ट्रल को घटा देता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। इस कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं तंबाकू के सेवन से पुरुषों के शुक्राणु और महिलाओं के अंडाणु बनाने की क्षमता कमजोर होती है। वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान अगर माता-पिता सिगरेट पीते हैं या तंबाकू का सेवन करते हैं तो इससे बच्चे के दिमाग और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

राज्य में युवाओं में तंबाकू सेवन का प्रचलन पिछले कुछ सालों में बढ़ा है। ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे के अनुसार वर्ष 2009-10 में 12. 3 प्रतिशत युवा तंबाकू का सेवन कर रहे थे जो 2016-17 में बढ़कर 13.1 प्रतिशत हो गया।

तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञ डॉ. सोमिल रस्तोगी ने बताया कि राज्य में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाले रोगों से प्रतिवर्ष 90 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है, वहीं एक लाख आठ हजार से अधिक बच्चे व युवा तंबाकू के सेवन की शुरुआत करते हैं। इस तरह राज्य में हर रोज औसत 300 बच्चे तंबाकू के सेवन की शुरुआत करते हैं।

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार, भारत में 15 वर्ष से अधिक उम्र के युवाओं का बड़ा वर्ग वर्तमान में किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग कर रहा है, ऐसे वयस्कों की संख्या 28. 6 प्रतिशत (27 करोड़) है। युवाओं को इससे बचाने के लिए तंबाकू उद्योगों द्वारा अपने उत्पादों के प्रति आकर्षित करने के प्रयासों पर प्रभावी अंकुश, बच्चों व युवाओं को निरंतर तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक करने तथा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की जरूरत है।

सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि अधिकतर युवा वर्ग शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करते समय ही इन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू कर देता है। बच्चों व युवाओं को तंबाकू की पहुंच से दूर रखने के लिए तंबाकू नियंत्रण अधिनियम 2003 तथा किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 की प्रभावी तौर पर पालन कराने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब शिक्षण संस्थाओं के आसपास तंबाकू उत्पाद ही नहीं मिलेंगे तो बच्चों में इसके प्रति आकर्षण भी नहीं हेागा।
 

आईएएनएस
भोपाल


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment