World Mental Health Day: 44 फीसद मानिसक रोगी ले रहे तांत्रिक व हकीमों का सहारा!
दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 10 अक्टूबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किया जाता है।
प्रतिकात्मक फोटो |
44 फीसद मानिसक रोगी इलाज की जगह तांत्रिक बाबा और नीम-हकीम का सहारा ले रहे हैं। जबकि 26 फीसद मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें अपने घर से 50 किलोमीटर की दूरी तक कोई चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती।
यह खुलासा विश्व मानिसक स्वास्थ्य फेडरेशन (डब्ल्यूएफएमएच) के सहयोग से नई दिल्ली स्थित कासमोस इंस्टीच्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड बिहैवियरल साइंसेस (सीआईएमबीएस) के एक अध्ययन से हुआ है। उत्तर भारत के दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हरियाणा के करीब 10,233 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया था।
इसके अनुसार 43 फीसद लोगों ने अपने परिवार या दोस्तों में किसी न किसी के मानिसक रोगी होने की पुष्टि की है। देश में केवल 49 प्रतिशत मरीजों को उनके घर के 20 किलोमीटर के दायरे में मानिसक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाती हैं। ठीक इसी प्रकार 48 प्रतिशत लोगों ने अध्ययन में स्वीकार किया है कि उनके परिवार या दोस्त नशे का शिकार हैं, लेकिन उनके घर के आसपास नशा मुक्ति केंद नहीं है।
विश्व मानसिक दिवस की पूर्व संध्या पर आईएमबीएस के निदेशक डॉ सुनील मित्तल ने कहा कि मानिसक बीमारियां न केवल मरीजों के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए अत्यंत तकलीफदेह होती हैं। मानिसक बीमारियों को लेकर समाज में कायम गलत धारणाएं इन बीमारियों को लेकर जागरूकता का अभाव व मानिसक स्वास्थ्य सुविधाओं का सुलभ नहीं हो पाना है। डॉ मित्तल ने कहा कि उनके पास ऐसे कई मामले हैं जिनसे साबित होता है कि आज भी मानिसक रोगों को लेकर लोग बाबाओं और तांत्रिकों के पास इलाज खोजने के लिए चक्कर लगाते रहते हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं भारत में : जीबी पंत हॉस्पिटल में स्नायु तंत्रिका विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ देवाशीष चौधरी के ने बताय कि साल 2016 में जारी राष्ट्रीय मानिसक स्वास्थ्य सर्वे (एनएमएचएस) के अनुसार देश में मानिसक बीमारियों का प्रकोप 13.7 प्रतिशत है जबकि मानिसक बीमारियों के कारण आत्महत्या करने का खतरा 6.4 प्रतिशत है।
दुनिया की करीब 18 फीसद आबादी भारत में रहती है लेकिन दुनिया में सर्वाधिक 28 फीसदी आत्महत्याओं के मामले सामने आ रहे हैं। भारत में आत्महत्या की दर प्रति एक लाख पर करीब 18 है। जोकि विश्व भर 10.7 से करीब 70 फीसद ज्यादा है।
डिजिटल इंडिया का सहारा दे सकता है लाभ : इस अध्ययन में करीब 87 फीसद लोगों ने मोबाइल फोन एप या फिर टेली मेडिसिन सुविधा के जरिए मानिसक रोगों के उपचार की मांग की है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर भविष्य में सरकार तकनीकी की दिशा में ऐसा करती है तो काफी हद तक मानिसक रोगों को लेकर बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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