कोरोना से भी खतरनाक हवाना सिंड्रोम, अमेरिकी चैनल ने रूस को जिम्मेदार ठहराया

Last Updated 02 Apr 2024 03:17:43 PM IST

अमेरिका के एक न्यूज चैनल सीबीएस ने अपने एक प्रोग्राम 60 मिनट में ऐसे मामले का जिक्र कर दिया है, जिससे दुनिया भर के देश हैरान हैं।


Havana Syndrom

मामला है हवाना सिंड्रोम का। हवाना सिंड्रोम एक खतरनाक बीमारी है। जो स्वतः ना होकर किसी केमिकल हथियार द्वारा फैलाई जा ती है। इस बीमारी के शिकार कई देशों के अधिकारी हो चुके हैं। सीबीएस चैनल की रिपार्ट में इसे फ़ैलाने का आरोप रूस पर आरोप लगाया गया है।आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि जिस तरह कोविड 19 का नाम इसलिए दिया गया था कयोंकि उसके शुरुवाती लक्षण 2019 में ही दिखाई पड़े थे, ठीक उसी तरह हवाना सिंड्रोम के लक्षण क्यूबा की राजधानी हवाना में सबसे पहले देखे गए थे। इसलिए इसे हवाना सिंड्रोम कहते हैं। इस बीमारी के शिकार सबसे पहले अमेरिकी अधिकारी हुए थे। इसकी शुरुवात कब और कैसे हुई यह बताने से पहले आइए इसके लक्षणों पर बात कर लेते हैं। हवाना सिंड्रोम के कुछ लक्षणों में चक्कर आना, माइग्रेन जैसी समस्या,मेमोरी लॉस और कम दिखाई देना। हवाना सिंड्रोम की पहली बार 2016 में रिपोर्ट की गई थी, जब क्यूबा की राजधानी में अमेरिकी राजनयिकों ने बीमार पड़ने और रात में चुभने वाली आवाज़ें सुनने की सूचना दी थी, जिससे किसी विदेशी संस्था द्वारा हमला किए जाने की अटकलें लगाई गई थीं। बाद में चीन और यूरोप में दूतावास के कर्मचारियों द्वारा नाक से खून आना, सिरदर्द और दृष्टि संबंधी समस्याओं सहित अन्य लक्षणों की सूचना दी गई थी।

जानकारी के मुताबिक क्यूबा में अमेरिकी दूतावास को खुले हुए एक साल ही बीता था कि अचानक वहां तैनात अमेरिकी अधिकारियों को रहस्यमयी स्वास्थ्य समस्या होने लगी। मिशन में तैनात अधिकारियों और उनके परिजनों को अचानक कमजोरी महसूस होने लगी। साल 2021 में जब अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस वियतनाम के दौरे पर जाने वाली थी, इसके ठीक पहले हनोई में तैनात अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था। अब एक जांच में सामने आया है कि अमेरिकी अधिकारियों की इस हालत के पीछे रूस का हाथ था। एक अप्रैल को जारी एक संयुक्त मीडिया जांच के अनुसार, हाल के वर्षों में अमेरिकी राजनयिकों द्वारा अनुभव किए गए रहस्यमय तथाकथित हवाना सिंड्रोम के लक्षणों को रूसी खुफिया इकाई से जोड़ा गया है।

द इनसाइडर, डेर स्पीगल और सीबीएस के 60 मिनट्स की संयुक्त रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई है कि अमेरिकी राजनयिकों को रूसी ध्वनिक हथियारों से निशाना बनाया गया होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल भर की जांच में "ऐसे सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि अस्पष्टीकृत असामान्य स्वास्थ्य घटनाएं, जिन्हें हवाना सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है, उनकी उत्पत्ति (रूसी GRU) यूनिट 29155 के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए गए निर्देशित ऊर्जा हथियारों के उपयोग में हो सकती है। रूस की 29155 इकाई विदेशी परिचालनों के लिए जिम्मेदार है और इसे कई अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के लिए दोषी ठहराया गया है, जिसमें 2018 में ब्रिटेन में दलबदलू सर्गेई स्क्रिपल को जहर देने का प्रयास भी शामिल है। हालांकि मॉस्को ने सोमवार को आरोपों को "निराधार" बताते हुए खारिज कर दिया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने एक समाचार सम्मेलन में कहा, "इस विषय पर पहले से ही कई वर्षों से प्रेस में चर्चा हो रही है,लेकिन किसी ने कभी कोई ठोस सबूत प्रकाशित नहीं किया है, इसलिए यह सब एक निराधार और निराधार आरोप से ज्यादा कुछ नहीं है।

अमेरिकी न्यूज चैनल सीबीएस के प्रोग्राम में 60 मिनट्स की नई जांच रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों पर हुए हमलों के लिए रूसी लिंक का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, हैरिस के हनोई पहुंचने के पहले अलग-अलग घटनाओं में 11 लोगों को निशाना बनाया गया था, जिन्हें असामान्य स्वास्थ्य स्थिति का सामना करना पड़ा था। जो लोग इससे प्रभावित हुए थे, उनमें हनोई में अमेरिकी दूतावास के अधिकारी और उपराष्ट्रपति की यात्रा की तैयारी कर रहे रक्षा विभाग की अग्रिम टीम के सदस्य थे। हालांकि, हवाना सिंड्रोम के सटीक कारणों की अभी तक पुष्टि नहीं की गई है लेकिन 60 मिनट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके पास ऐसे साक्ष्य है जो ये बताते हैं कि विदेशों में अमेरिकी अधिकारियों पर हुए स्वास्थ्य हमलों के पीछे रूसी सेना की खतरनाक जीआरयू यूनिट शामिल है।

एक्सपर्ट के अनुसार, लक्षित ध्वनि या माइक्रोवेव हमलों के बाद अधिकारियों में इस सिंड्रोम के लक्षण देखे गए। हनोई के केस का हवाला देते हुए कहा गया है कि ऐसा माना जाता है कि हवाना सिंड्रोम हमले के लिए वियतनामी लोगों को कोई तकनीक दी गई थी। स्टडी में पाया गया है कि कोई था, जिसने वियतनामी लोगों को इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के बारे में बताया था। इसके रूसी होने की सबसे अधिक संभावना है। द इनसाइडर के अनुसार, कमला हैरिस की हनोई यात्रा से 5 महीने पहले रूस की सुरक्षा परिषद को एक ईमेल भेजा गया था। इस ईमेल के अनुसार, रूसी खुफिया विभाग ने वियतनामी सुरक्षा सेवाओं के लिए एक विशेष तकनीक साझा करने की अनुमति हासिल की थी। इनमें एलआरएडी ध्वनि छोड़ने वाले और इंसानी शरीर को स्कैन करने के लिए शॉर्ट वेव उपकरण शामिल थे। भारत में साल 2021 में हवाना सिंड्रोम का एक मामला सामन आया था, जब एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स के साथ नई दिल्ली की यात्रा कर रहा था। 2021 की जुलाई में बेंगलुरु के एक निवासी ने हवाना सिंड्रोम की जांच और माइक्रोवेट ट्रांसमिशन की रोकथाम के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने केंद्र को इस सिंड्रोम पर गौर करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सिंड्रोम की मौजूदगी की संभावना की जांच के लिए सहमति जताई थी।

 

 

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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