रूस-यूक्रेन संघर्ष के मामले में भारत के रूख पर अमेरिकी सीनेटरों ने जताई निराशा
पीएम मोदी (PM Modi) की अमेरिकी यात्रा से पहले ही अमेरिका (America) ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। भारत का तथाकथित दोस्त कहे जाने वाले अमेरिका ने रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine War) के मामले में भारत के रुख पर निराशा जताई है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की इस महीने के अंत में होने वाली राजकीय यात्रा से पहले, भारत के दोस्त माने जाने वाले वरिष्ठ अमेरिकी सीनेटरों की एक द्विदलीय जोड़ी ने निराशा व्यक्त की है कि भारत ने यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के आक्रमण (Russia Ukraine War) को स्वीकार कर लिया है और रूस के इस कदम खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
इनमें से एक ने भारत में आंतरिक राजनीतिक घटनाक्रमों का मुद्दा उठाया और कहा कि वह मोदी द्वारा अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र के संबोधन के दौरान लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सुनना चाहेंगे।
डेमोक्रेट सीनेटर मार्क वार्नर और रिपब्लिकन जॉन कॉर्निन सीनेट इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष व समूह के सह-संस्थापक हैं।
उनकी उपरोक्त टिप्पणी यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (US-India Business Council) के वार्षिक भारत विचार शिखर सम्मेलन (Annual India Ideas Summit) में आई, जो दोनों देशों के बीच बढ़ती आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी का जश्न मना रहा है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Foreign Minister Antony Blinden) ने शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने मंगलवार को शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।
दोनों सीनेटर आम तौर पर भारत के साथ संबंधों के बारे में आशावादी हैं। हालांकि उनकी टिप्पणियों को प्रशासन या अमेरिकी कांग्रेस या अमेरिकी चैंबर का समर्थन नहीं मिला।
सीनेटर कोर्निन ने कहा, यह थोड़ा निराशाजनक है कि जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, तो भारत ने पास ले लिया, हालांकि उन्होंने कहा कि वह समझते हैं कि भारत ने ऐसा रूसी हथियार पर निर्भरता के कारण किया। साथ ही, उन्होंने स्वीकार किया कि भारत रीसेट बटन दबा कर रातों-रात 50 वर्षों के इतिहास को बदल नहीं सकता है।
सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के प्रमुख सीनेटर वार्नर ने कहा, तथ्य यह है कि भारत वास्तव में महान दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रों में से एक के रूप में आ गया है और अब वे ऐसे मामलों की लंबे समय तक अनदेखी नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि पुतिन की आलोचना करने में भारत की अनिच्छा से अमेरिका नाखुश रहा है। जबकि बाइडेन प्रशासन काफी हद तक गैर-प्रतिबद्धबना हुआ है।
सीनेटर वार्नर आगे बढ़ गए। मैं उचित सम्मान के साथ कहता हूं और भारत के आंतरिक मामलों में अपनी नाक घुसाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं।
लेकिन एक महान राष्ट्र के रूप में, एक महान लोकतंत्र के रूप में, मुझे आशा है कि हम प्रधान मंत्री से सुनेंगे, क्या हम कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वार्नर प्रधानमंत्री मोदी की आगामी राजकीय यात्रा से अपेक्षाओं और अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के बारे में पैनल चर्चा के संचालक के एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
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