विश्व युद्ध-2 के बाद सबसे बड़े खाद्य संकट का खतरा

Last Updated 31 Mar 2022 02:16:41 AM IST

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य संबंधी मामलों के प्रमुख डेविड बेस्ली ने मंगलवार को आगाह किया कि यूक्रेन में युद्ध ने एक बड़ा संकट उत्पन्न कर दिया है और वैश्विक स्तर पर इसका प्रभाव ‘द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से हमने जो कुछ भी देखा है’ उससे कहीं अधिक होगा, क्योंकि दुनिया के लिए व्यापक स्तर पर गेहूं का उत्पादन करने वाले यूक्रेन के किसान अब रूसी सेना से मुकाबला कर रहे हैं।


विश्व युद्ध-2 के बाद सबसे बड़े खाद्य संकट का खतरा

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बेस्ली ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि खाद्य सामग्री की कीमतें अभी से आसमान छू रही हैं।

बेस्ली ने कहा कि उनकी एजेंसी रूस के 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करने से पहले विश्व में करीब 12.5 करोड़ लोगों को भोजन मुहैया करा रही थी और अब भोजन, ईधन और परिवहन की बढ़ती लागत के कारण उन्हें अपने राशन में कटौती शुरू करनी पड़ रही है।

उन्होंने युद्धग्रस्त यमन का जिक्र किया, जहां 80 लाख लोगों को मुहैया कराए जाने वाले भोजन में 50 प्रतिशत कटौती की गई है और अब हम इसे बिल्कुल बंद करने पर विचार कर रहे हैं।

बेस्ली ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के कारण दुनिया को व्यापक स्तर पर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने वाले देश के लोग खुद भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर हो गए हैं। 2020 में मिस्र सामान्य तौर पर 85 प्रतिशत और लेबनान 81 प्रतिशत अनाज यूक्रेन से प्राप्त कर रहा था।

यूक्रेन और रूस दुनिया का 30 प्रतिशत गेहूं, 20 प्रतिशत मकई और सूरजमुखी के बीज के तेल का 75 से 80 प्रतिशत का उत्पादन करते हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम अपनी सेवाओं के लिए 50 प्रतिशत अनाज यूक्रेन से खरीदता है।

बेस्ली ने कहा कि युद्ध से भोजन, ईधन और परिवहन की लागत बढ़ेगी और एजेंसी के मासिक खर्च में 7.1 करोड़ डॉलर की वृद्धि होगी। इससे एक वर्ष में कुल 85 करोड़ डॉलर का खर्च बढ़ेगा, जिसका मतलब है कि 40 लाख लोगों तक खाद्य सामग्री पहुंच नहीं पाएगी।

उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम यूक्रेन के अंदर अब करीब 10 लाख लोगों तक भोजन पहुंचा रहा है।

एपी
संयुक्त राष्ट्र


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