अमेरिका ने हाई अलर्ट पर रखे 8500 सैनिक

Last Updated 26 Jan 2022 05:24:14 AM IST

रूस के यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई करने की आशंकाओं को लेकर बढ़ती चिंता के बीच पेंटागन ने 8,500 सैनिकों को नाटो बल के हिस्से के रूप में यूरोप में तैनात होने के लिए तैयार रहने को कहा है।


अमेरिका ने हाई अलर्ट पर रखे 8500 सैनिक

राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूरोप के प्रमुख नेताओं से विचार-विमर्श किया और अपने सहयोगी देशों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की। सोमवार को अमेरिकी सैनिकों को यूरोप में तैनात करने के लिए तैयार होने का आदेश जारी किये जाने के बीच यह उम्मीद कम होती दिख रही है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने उस रुख से पीछे हटेंगे जिसे बाइडन ने पड़ोसी यूक्रेन पर हमले के खतरे के रूप में आंका है। इस दौरान यूक्रेन के भविष्य के साथ नाटो गठबंधन बल की विसनीयता भी दांव पर है जो अमेरिकी रक्षा रणनीति के केंद्र में है। वहीं पुतिन इसे शीत युद्ध की याद के तौर पर और रूसी सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखते हैं। बाइडन का मानना है कि यह संकट पुतिन के खिलाफ एकजुट होकर प्रयास करने की उनकी क्षमता का बड़ा परीक्षण है।

पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा कि संभावित तैनाती के लिए 8,500 अमेरिकी सैनिकों को तैयार किया जा रहा है। इन्हें यूक्रेन में नहीं बल्कि रूस की किसी भी आक्रामक गतिविधि की रोकथाम के लिए एकजुटता जताने वाले नाटो बल के भाग के रूप में पूर्वी यूरोप में भेजा जा सकता है। रूस ने आक्रमण करने की संभावना से इनकार किया है। उसका कहना है कि पश्चिमी देशों के आरोप नाटो की खुद की सुनियोजित उकसावे वाली कार्रवाइयों को ढकने का प्रयास मात्र हैं।

बाइडन ने रूस की सैन्य गतिविधियों पर यूरोप के अनेक नेताओं के साथ 80 मिनट तक वीडियो कॉल पर बात की। उन्होंने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘मेरी बहुत, बहुत अच्छी बैठक रही। सभी यूरोपीय नेताओं में पूरी तरह से सर्वसम्मति है।’ व्हाइट हाउस ने कहा कि यूरोपीय नेताओं ने संकट के कूटनीतिक समाधान के लिए अपनी आकांक्षा जाहिर की है, साथ ही रूस की और गतिविधियों पर रोकथाम के प्रयासों पर चर्चा भी की। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक दिन पहले यूक्रेन स्थित अमेरिकी दूतावास में कार्यरत सभी अमेरिकी कर्मियों के परिवारों को रूसी हमले के बढ़ते खतरों के बीच देश छोड़ने का आदेश दिया था।

कनाडा ने यूक्रेन यात्रा पर दी नागरिकों को चेतावनी

कनाडा ने यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अपने नागरिकों को बहुत जरूरी होने पर ही यूक्रेन की यात्रा करने की सलाह दी है।  कनाडा के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में  कहा, ‘रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ रहे तनाव और दोनों देशों के सीमावर्ती इलाकों में बढ़ते सैन्य जमावड़े के कारण खतरा बढ़ रहा है ऐसे में यूक्रेन की गैरारूरी या से बचें।’ यह कदम कुछ उसी तरह का है जैसे सोमवार को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन में अपने कुछ राजनयिकों और उनके परिवारों को वहां से निकलने की इजाजत दी थी। अन्य देश भी इस बात पर तैयार हैं कि अगर स्थिति और बिगड़ती है तो उन्होंने भी अपने लोगों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है।

यूक्रेन को हथियार नहीं उपलब्ध कराएगा जर्मनी

जर्मनी द्वारा यूक्रेन को हथियार नहीं देने के निर्णय ने नाटो के कुछ सदस्य देशों को नाराज कर दिया है और रूस के विरुद्ध खड़े होने के जर्मनी के संकल्प पर सवालिया निशान लग गया है। इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि बर्लिन ने एस्टोनिया द्वारा कीव को पुरानी जर्मन होविट्जर तोपें देने पर रोक लगा दी थी।

यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैन्य जमावड़े के खिलाफ इन तोपों का इस्तेमाल किया जा सकता था। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्विटर पर कहा कि हथियारों की आपूर्ति पर जर्मनी का यह रुख ‘हमारे संबंधों और वर्तमान सुरक्षा स्थिति के अनुकूल नहीं है।’ सोमवार को बर्लिन में जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा कि होवित्जर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है और उनका देश, यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले के विरोध में नाटो तथा यूरोपीय संघ के देशों के साथ खड़ा है।

शोल्ज ने संवाददाताओं से कहा, ‘अगर ऐसी स्थिति आती है तो हम मिलकर कार्रवाई करेंगे। इसकी भारी कीमत चुकानी होगी।’ उन्होंने कहा कि जर्मनी यूक्रेन को सहायता उपलब्ध कराता रहेगा लेकिन ‘हम कोई घातक हथियार नहीं देंगे।’ जर्मनी के इस रुख की कीव, वाशिंगटन और लंदन में आलोचना की गई।

भाषा/वार्ता/एपी
वाशिंगटन/ओटावा/बर्लिन


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