पीछे हटने के बजाए चीन ने बढ़ाई एलएसी पर सैन्य गतिविधियां

Last Updated 18 Jun 2020 12:52:43 AM IST

गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर हुए खूनी संघर्ष के बाद भी शांति बनाने के बजाय चीन सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है।


गलवान घाटी में मंगलवार रात चीनी सेना के ट्रकों की आवाजाही की प्लैनेट लैब द्वारा जारी इमेज।

सेना को मिली जानकारी और उपग्रह चित्र के अनुसार मंगलवार और बुधवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 200 चीनी सैनिक ट्रकों की आवाजाही देखी गई। भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच बने तनाव को कम करने के लिए बुधवार को मेजर जनरल हॉट कमांडर स्तर पर बातचीत जारी रही।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 में करगिल जैसी स्थिति है। चीनी सैनिक प्वाइंट के ऊपर बैठे हैं, जबकि एलएसी के भारत की तरफ घाटी है। यानी चीनी सेना को ऊंचाई पर बैठने का मनोवैज्ञानिक लाभ है इसलिए सरकार पर दबाव है कि चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए और उनसे पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 खाली कराया जाए, नहीं तो वह इसी तरह से भारतीय सीमा पर अतिक्रमण करते रहेंगे और एलएसी को आगे खिसकाते रहेंगे।

सेना सूत्रों का कहना है कि बुधवार को भी गलवान घाटी क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से लेकर हॉट स्प्रिंग तक करीब 200 ट्रक देखे गये। पैंगोंग लेक हॉट स्प्रिंग और गलवान घाटी में चीनियों द्वारा बनाए गए ढांचा और वहां लाए गए वाहन और अन्य सेना सामान से स्पष्ट है कि चीन पूरी तरह से तैयार होकर आया था और उसका मकसद एलएसी को आगे बढ़ाना था, क्योंकि भारत और चीन के बीच में एलएसी निर्धारित नहीं है। जिस देश की सेना जहां बैठी है, वहीं सीमा है इसलिए दोनों देशों के सैनिकों के धक्का-मुक्की हो जाती है।

विवाद की जड़
चीन ने अक्साई चीन में भारत का 38000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर कब्जा किया हुआ है। उसकी नजर भारत के अन्य क्षेत्रों पर भी है। वह मानता है कि लद्दाख से लेकर दौलत बेग ओल्डी तक एलएसी के भारतीय सीमा क्षेत्र के तरफ भी उसका हिस्सा है इसलिए वह बार-बार बातचीत करने और समझौता करने के बावजूद भी शांति समझौते का उल्लंघन करता है।

ताजा विवाद पेंगोंग लेक में चीनी सेना की घुसपैठ की वजह से ही रंगों से लेकर दौलत बेग ओल्डी तकरीबन 325 किलोमीटर के क्षेत्र में 4 बिंदुओं पर विवाद खड़ा किया। वह पहला विवाद पेंगोंग लेक के फिंगर-4, फिंगर-8, गलवान घाटी के पेट्रोल प्वाइंट 14 और दौलत बेग ओल्डी पर बनाए जा रहे पुल को लेकर है।

गलवान नदी के एक तरफ चीनी सेना है और दूसरी तरफ भारतीय सेना। समझौते के मुताबिक दोनों इस सीमा को मानेंगे, लेकिन भारत ने जब-जब भी चीन से सीमा रेखा की मैपिंग करने की मांग उठाई, तब-तब वह टालता रहा है, क्योंकि उसके मन में खोट है। वह भारत के अन्य हिस्सों को हड़पना चाहता है, जिसमें कुछ हिस्सा उत्तराखंड और अरु णाचल प्रदेश का शामिल है।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो/रोशन
नई दिल्ली


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