भारत में कोरोना के मामलों में गुणात्मक वृद्धि नहीं, जोखिम बरकरार: WHO

Last Updated 06 Jun 2020 10:13:33 AM IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 महामारी के नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों की तारीफ करते हुए कहा है कि भारत में अभी इस बीमारी के मामलों में गुणात्मक वृद्धि नहीं हो रही है, लेकिन ऐसा होने का जोखिम बना हुआ है और इसलिए पूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता है।


डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल जे रयान ने कोविड-19 पर नियमित प्रेसवार्ता में शुक्रवार को कहा कि भारत में मामले तीन सप्ताह में दोगुने हो रहे हैं और इस प्रकार इसमें गुणात्मक वृद्धि नहीं हो रही है, लेकिन मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

भारत ही नहीं बांग्लादेश, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के घनी आबादी वाले अन्य देशों में अभी महामारी की स्थिति विस्फोटक नहीं हुई है, लेकिन ऐसा होने का जोखिम बना हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सामुदायिक स्तर पर कोरोना का संक्रमण शुरू हो जाता है तो यह काफी तेजी से फैलेगा।

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत द्वारा किए गए उपाय देश में बीमारी के फैलाव को सीमित करने में कारगर रहे हैं। अब जब प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है और लोगों की आवाजाही दुबारा शुरू हो गई है तो जोखिम हमेशा बना हुआ है। देश में कई तरह के स्थानीय कारक हैं– बड़ी संख्या में देश के भीतर विस्थापन है, शहरी वातावरण में घनी आबादी है और कई कामगारों के पास हर दिन काम पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं है।

डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामिनाथन ने कहा कि भारत में दो लाख से अधिक मामले आए हैं। वैसे देखने में यह संख्या बड़ी लगती है, लेकिन 130 करोड़ की आबादी वाले देश के हिसाब से यह अब भी बहुत ज्यादा नहीं है। संक्रमण के बढ़ने की दर और मामलों के दोगुना होने की रफ्तार पर नजर रखना महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना होगा कि स्थिति बिगड़े नहीं।

उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं से भरा विशाल देश है। एक तरफ शहरों में बेहद घनी आबादी है तो दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में जनसंख्या घनत्व काफी कम है। हर राज्य में स्वास्थ्य प्रणाली अलग-अलग है। ये सभी कारणों से कोविड-19 को नियंत्रित करना काफी चुनौतीपूर्ण है।

लॉकडाउन और प्रतिबंधों में ढील के साथ यह सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त सावधानी बरती जा रही है और लोग इसकी जरूरत समझ रहे हैं। यदि लोगों के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव लाना है तो उन्हें यह समझाना आवश्यक है कि क्यों उन्हें ऐसा करना चाहिए।

डॉ. स्वामिनाथन ने कहा कि देश के कई शहरी क्षेत्रों में सामाजिक दूरी का पालन संभव नहीं है। इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि लोग चेहरे को ढंककर बाहर निकलें। जहां कार्यालयों में, सार्वजनिक परिवहन के दौरान और शैक्षणिक संस्थानों में सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो सकता वहां भी चेहरा ढंकना जरूरी है।

हर संस्थान, संगठन और उद्योग को इस पर विचार करना चाहिए कि काम शुरू करने से पहले उन्हें किस प्रकार के एहतियाती उपाय करने की जरूरत है। हो सकता है कि कोरोना से पहले की स्थिति कभी वापस न आए।

वार्ता
जेनेवा/नई दिल्ली


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