चीन: वन्यजीवों पर प्रतिबंध के बाद भी वायरस ने क्यों पांव पसारे!

Last Updated 04 Apr 2020 11:23:05 AM IST

जब सार्स ने 2003 में दस्तक दी थी, दक्षिणी चीन में बड़े ही चाव से खाए जाने वाले नेवले जैसे जानवर (सीवेट) पर वायरस के वाहक होने का शक किया गया। इस बीमारी से कुल 8000 लोग संक्रमित हुए थे और पूरी दुनिया और चीन में 800 लोग मारे गए थे।


(फाइल फोटो)

इस दौरान करीब हजारों सीवेट को मार डाला गया। उस समय चीन ने वन्यजीवों के शिकार, व्यापार और उपभेग पर भी प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इस पाबंदी को तीन महीने बाद हटा लिया गया।

नेशनल फॉरेस्टरी एंड ग्रासलैंड प्रशासन ने घोषणा कर कहा था कि सीवेट समेत 54 वन्यजीवों का उपभोग या व्यापार किया जा सकता है। इसके अलावा इसे फार्म में पाला भी किया जा सकता है।

लाटाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक, वन्यजीव व्यापार अपने चरम पर था। नवंबर में, जिंआंग्सी प्रांत के एक न्यूज रिपोर्ट को वन प्रशासन ने दोबारा प्रकाशित किया, जिसमें बड़े ही गर्व के साथ कहा गया था कि सीवेट के ब्रीडिंग से लोग संपन्न हुए हैं।

दो महीने बाद, आधिकारिक रूप से कहे जाने वाले सार्स-सीओवी-2 ने देश में अपने पांव पसारने शुरू कर दिए। इस बीमारी से उत्पन्न कोविड-19 ने कम समय में ही तबाही मचानी शुरू कर दी, जिसकी वजह से 10 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए और अब तक 52,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

वहीं कोरोनावायरस के लिए चमगादड़ को सोर्स माना गया।

एक बार फिर, चीन ने वन्यजीव व्यापार और उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया। पहले अस्थायी तौर पर प्रतिबंध लगाया और फिर 24 फरवरी को इस पर स्थायी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

उसके बाद से, अधिकारियों ने मोर, पॉक्र्यपाइन, ऑस्ट्रिच और अन्य जानवारों के पालन-पोषण करने वाले करीब 20,000 फॉर्मों को बंद कर दिया।

संरक्षण समूह ने प्रतिबंध की बड़े कदम के रूप में सराहना की, लेकिन महामारी के प्रकोप को रोकने में यह नाकाम रहा। इस प्रतिबंध के तहत केवल लैंड एनिमल पर ही प्रतिबंध लगाया गया। इससे उपभोक्ता को समस्या हुई, लेकिन यह सरकारी अधिकारियों, कॉरपोरेट हितों के भ्रष्ट गठबंधन को समाप्त नहीं कर पाया।

इस वजह से पारंपरिक चीनी मेडिसन के लिए वन्यजीवों के प्रयोग की गुंजाइश बनी रही, जिसमें पशु-आधारित उपचार भी शामिल हैं। जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण अब कोरोना वायरस के उपचार के रूप में बता रहा है।

वर्तमान कानून दवा बनाने के लिए चमगादड़, पैंगोलिन और भालू की फार्मिंग की अनुमति देता है, जिससे वन्यजीवों की मांग बढ़ती है और इससे एक और महामारी का खतरा बढ़ता है।

वर्षों से, चीनी और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण समूह, वन्यजीवों के संरक्षण के लिए चीन के दृष्टिकोण में बदलाव का आह्वान कर रहे हैं, जो जंगली जानवरों को एक वस्तु के रूप में देखता है और मानव उपभोग के लिए खेती और ब्रीडिंग करता है।

इसके अलावा वुहान के हूनान सीफूड मार्केट को भी कोरोना वायरस के केंद्र के रूप में माना गया है। यहां बेंबू रेट्स, सीवेट, सांप और अन्य वन्यजीवों को मारा और बेचा जाता है। वायरस के फैलने की संभावित वजह एक होर्सशू चमगादड़ है या फिर पैंगोलिन है, जिससे यह मानवों में फैला।
 

आईएएनएस
शंघाई


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