अमेरिका और तालिबान में हुई ऐतिहासिक सुलह
अमेरिका ने तालिबान के साथ शनिवार को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया और 14 माह के भीतर अपने सारे सैनिकों को वापस बुलाने की एक रूपरेखा भी पेश की।
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इस समझौते के साथ ही तालिबान और काबुल सरकार के बीच भी बातचीत की उम्मीद जगी है जिससे 18 साल से चल रहे संघर्ष के भी खत्म होने के आसार हैं।
दोहा के एक आलीशान होटल में तालिबान के वार्ताकार मुल्ला बिरादर ने समझौते पर हस्ताक्षर किए वहीं दूसरी ओर से अमेरिका के वार्ताकार जलमय खलीलजाद ने हस्ताक्षर किए। इसके बाद दोनों ने हाथ मिलाए। इस दौरान होटल के कांफ्रेंस कक्ष में लोगों ने ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाए।
यह समझौता अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की देखरेख में हुआ। उन्होंने अल कायदा से संबंध समाप्त करने की प्रतिबद्धता भी तालिबान को याद दिलाई। समझौता होने से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान के लोगों को नए भविष्य के लिए बदलाव को अपनाने की अपील की थी। उन्होंने हस्ताक्षर कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर कहा, अगर तालिबान और अफगान सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर पाते हैं तो हम अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ सकेंगे और अपने सैनिकों को घर वापस ला पाएंगे।
अमेरिका सेना हटाएगा : यदि तालिबान समझौते का पालन करता है तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश अफगानिस्तान से 14 माह के भीतर अपने बलों को वापस बुला लेंगे। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने समझौते को स्थाई शांति की दिशा में पहला कदम करार दिया। नाव्रे के प्रधानमंत्री ने काबुल में कहा, शांति का रास्ता लंबा और कठिन है। हमें रुकावटों, विघ्न डालने वालों के लिए तैयार होना होगा,शांति का रास्ता आसान नहीं है।
भारत ने समझौते का किया स्वागत
भारत ने कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते एवं काबुल में अफगानिस्तान तथा अमेरिका की सरकारों की संयुक्त घोषणा का शनिवार को स्वागत किया। साथ ही कहा है कि भारत की नीति अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थितरता लाने वाले सभी अवसरों का समर्थन करना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां मीडिया से कहा, भारत की नीति अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थितरता लाने वाले सभी अवसरों का समर्थन करना है।
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