कुलभूषण जाधव मामले में असहमत पाक जज ने कहा-वियना संधि जासूसों पर लागू नहीं होती

Last Updated 18 Jul 2019 10:39:03 AM IST

कुलभूषण जाधव मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने बुधवार को भारत के पक्ष में 15-1 से फैसला सुनाया और जिन एकमात्र न्यायाधीश ने इस फैसले से असहमति जताई, वह आईसीजे पीठ में शामिल पाकिस्तान के इकलौते न्यायाधीश तसद्दुक हुसैन जिलानी हैं।


जिलानी इस मामले में तदर्थ (एडहॉक) न्यायाधीश हैं। पाकिस्तान के उर्दू अखबार जंग की रिपोर्ट के मुताबिक, जिलानी ने अपने असहमति नोट में लिखा कि वियना संधि जासूसों पर लागू नहीं होती। उन्होंने लिखा कि वियना संधि लिखने वालों ने सोचा भी नहीं होगा कि यह जासूसों पर भी लागू होगी।

उन्होंने अपने नोट में लिखा है कि भारत ने अधिकारों का नाजायज फायदा उठाने का प्रयास किया है।

बुधवार को आईसीजे भारत के पक्ष में सात फैसले दिए और जिलानी ने इन सातों पर अपनी असहमति जताई।

अदालत ने जाधव को राजनयिक पहुंच देने के पक्ष में फैसला सुनाया और पाकिस्तान को उनकी फांसी पर रोक जारी रखने के लिए कहा। भारतीय नौसेना के अधिकारी जाधव को अप्रैल 2017 में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने कथित जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद भारत ने फांसी पर रोक लगाने के लिए आईसीजे में अपील की थी।

दि हेग में फरवरी 2019 में भारत और पाकिस्तान दोनों से अंतिम बहस की सुनवाई के बाद, जिलानी केवल चौथे दिन ही कार्यवाही में शामिल हो पाए थे क्योंकि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था।

उस समय, पाकिस्तान ने जिलानी की बीमारी का हवाला देते हुए आईसीजे से मामले को स्थगित करने का आग्रह किया था।

चूंकि पाकिस्तान का कोई भी न्यायाधीश आईसीजे का सदस्य नहीं था, इसलिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जिलानी को तदर्थ न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया था।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश दलवीर भंडारी आईसीजे के 15 स्थायी सदस्यों में से एक हैं।

आईएएनएस
दि हेग


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