जिम्बाब्वे में 37 साल की सत्ता का पटाक्षेप, राष्ट्रपति मुगाबे ने इस्तीफा दिया
जिम्बाब्वे की संसद के स्पीकर जैकब मुदेंडा ने मंगलवार को कहा कि रॉबर्ट मुगाबे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है.
राजधानी हरारे में मंगलवार को राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे (इनसेट) के इस्तीफे की खबर मिलने के बाद संसद भवन के बाहर जश्न मनाते लोग. |
इसके साथ ही मुगाबे की 37 साल चली आ रही सत्ता का पटाक्षेप हो गया है.
कुछ दिनों पहले सेना जिम्बाब्वे की सत्ता पर काबिज हो गई थी और इसके बाद मुगाबे से शक्तियां छीन ली गई थीं. स्पीकर मुंदेड़ा ने मुगाबे का त्यागपत्र पढ़ा जिसमें लिखा हुआ था, मैं रॉबर्ट गैब्रिएल मुगाबे जिम्बाब्वे के संविधान की धारा 96 के तहत औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा देता हूं जो तत्काल प्रभावी है.
इस्तीफे की यह बड़ी खबर संसद के विशेष संयुक्त सत्र के समक्ष दी गई. मुगाबे पर महाभियोग के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था. मुगाबे 1980 से जिम्बाब्वे की सत्ता पर आसीन थे. इस्तीफे की खबर आते ही राजधानी हरारे की सड़कों पर जश्न शुरू हो गया. लोगों ने कारों के हॉर्न बजाकर और चिल्लाकर खुशी का इजहार किया.
महाभियोग की थी तैयारी : इससे पहले जिम्बाब्वे की संसद ने घोषणा की थी कि वह राष्ट्रपति मुगाबे के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए तैयार है. वहीं, अपदस्थ उप राष्ट्रपति एमर्सन मननगाग्वा देश के अगले नेता हो सकते हैं. साथ ही, उन्होंने मुगाबे से इस्तीफा देने को कहा है.
इस बीच, हरारे में प्रदर्शन को और तेज करने का आह्वान किया गया है. इससे हिंसा होने की आशंका बढ़ रही है. सैन्य प्रमुखों को मननगाग्वा प्राथमिकता वाले उम्मीदवार नजर आ रहे हैं. सैन्य प्रमुखों ने पिछले हफ्ते सत्ता पर कब्ता कर लिया था. मननगाग्वा ने कहा, उनकी सुरक्षा की गारंटी मिलने और गिरफ्तारी का सामना नहीं करने पर ही वह जिम्बाब्वे लौटेंगे. उन्होंने कहा, राष्ट्रपति मुगाबे से यह उनकी अपील है और उन्हें इस अपील पर ध्यान देना चाहिए.
इससे पहले, मननगाग्वा ने मुगाबे से कहा, लोगों की भावनाओं का सम्मान करें और पद से हट जाएं. मननगाग्वा ने बयान जारी कर कहा, जिम्बाब्वे के लोगों ने एक सुर में कहा है और राष्ट्रपति मुगाबे से मेरी भी अपील है कि वह जिम्बाब्वे के लोगों की अपील पर ध्यान दें और इस्तीफा दे दें ताकि देश आगे बढ़ सके और उनकी विरासत संभाल सके.
इस महीने की शुरुआत में मुगाबे ने मननगाग्वा को बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद वह जिम्बाब्वे छोड़कर चले गए थे. मननगाग्वा ने बताया, स्वदेश लौटने के मुगाबे के आमंतण्रको उन्होंने ठुकरा दिया, जिन्होंने वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के लिए उन्हें आमंत्रित किया.
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