चीन की बीआरआई परियोजना पर अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, विरोध करने वाले मोदी अकेले विश्व नेता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के बार्डर एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के खिलाफ आवाज उठाने वाले अकेले विश्व नेता हैं जबकि अमेरिका ने भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर लगातार चुप्पी साध रखी है.
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चीन मामलों पर अमेरिका के एक शीर्ष विशेषज्ञ ने यह बात कही है.
कांग्रेस की सुनवाई के दौरान प्रतिष्ठित थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट में चीनी रणनीति पर केंद्र के निदेशक माइकल पिल्स्बरी ने सांसदों से कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना के खिलाफ मोदी और उनकी टीम ने हमेशा खुलकर अपनी बात रखी है.
पिल्स्बरी ने कहा, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक विश्व के अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने इसके खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए हैं. उन्होंने और उनकी टीम ने इस पर खुलकर अपने विचार रखें हैं, आंशिक रूप से इसका एक कारण यह भी है कि बेल्ट और रोड इनिशिएटिव से भारतीय संप्रभुता के दावों का उल्लंघन होता है. उन्होंने कहा कि यह पांच साल पुरानी परियोजना है और अमेरिकी सरकार अभी तक इस पर खामोश रही है.
अमेरिका की हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर नई रणनीति की सराहना करते हुए पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने कहा कि हाल ही में लोगों ने राष्ट्रपति सहित ट्रंप प्रशासन के सदस्यों को 50 से अधिक बार स्वतंत्र एवं मुक्त हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की बात कहते सुना है. पिल्स्बरी ने कहा, चीन इसका पहले ही विरोध कर चुका है. उसे यह पसंद नहीं है.
बार्डर एंड रोड इनिशिएटिव में 50 अरब डॉलर का चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शामिल है, जिसका भारत ने विरोध किया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है.
पीओके के जरिए परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बीजिंग के इन कदमों के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए भारत ने मई में चीन द्वारा आयोजित बार्डर एंड रोड फोरम (बीआरएफ) का भी बहिष्कार किया था. पिल्स्बरी ने कहा कि चीन के अत्याधुनिक अनुसंधान के साथ ही अमेरिका से संवेदनशील व्यापार रहस्य चुराने की खबरों के बीच अमेरिकी कंपनियों पर बौद्धिक संपदा की चोरी का खतरा बना हुआ है.
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