सच बोलने का खतरा

Last Updated 17 Feb 2021 01:15:47 AM IST

क्या सच बोलकर दोस्ती टूटने का जोखिम उठाना चाहिए? सच्चा दोस्त कौन है?


सद्गुरु

जो दोस्ती को बचाने के लिए अच्छी-अच्छी बातें कहता है या जो दोस्ती खोने का जोखिम उठाकर वह कहने को तैयार होता है, जो उसे जरूरी लगता है? आप ज्यादातर ऐसे लोगों को दोस्त बनाते हैं जो आपके सोचने, महसूस करने और समझने के तरीकों का, आपकी पसंद और नापसंद का समर्थन करते हैं। आपने खुद को जैसा बनाया है, उसके लिए बस आपको बस सपोर्ट की तलाश होती है।

एक बार सर्दियों में एक नन्हीं सी चिड़िया ने मौसम का कुछ ज्यादा आनंद उठा लिया और दक्षिण की ओर अपनी यात्रा की शुरु आत में देर कर दी। उसने भीषण सर्दियों में शुरु आत की और उड़ने की कोशिश की मगर वह ठंड से जम गई और गिर पड़ी। उसी रास्ते से एक गाय गुजर रही थी और उसने ढेर सारा गोबर कर दिया। गोबर ठीक उस चिड़िया के ऊपर पड़ा और उसे पूरी तरह ढक दिया। गोबर की गर्माहट ने धीरे-धीरे चिड़िया को गर्मी पहुंचाई और वह स्वस्थ महसूस करने लगी और खुशी से चहचहाने लगी। एक बिल्ली भी उस रास्ते से जा रही थी।

उसने चहचहाहट सुनी, चारों ओर देखा तो पता चला कि आवाज़ गोबर के अंदर से आ रही है। उसने गोबर को दूर हटाया, चिड़िया को गोबर से बाहर निकाला और उसे खा गई। तो, जो भी आपको गंदगी से ढक देता है, वह जरूरी नहीं है कि आपका दुश्मन हो। और जो भी आपको गंदगी से बाहर निकाले, वह जरूरी नहीं है कि आपका दोस्त ही हो। और सबसे बढ़कर, जब आप गंदगी के ढेर में हों तो अपना मुंह बंद रखना सीखें। अगर आप किसी के दोस्त हैं, तो आपको हर समय उनकी गलतियां निकालने की जरूरत नहीं है, मुद्दा यह नहीं है।

मगर साथ ही, आपके अंदर लोगों के बीच अलोकप्रिय होने का साहस भी होना चाहिए। लोगों के साथ लोकप्रिय होने की कवायद में, अपने आस-पास सुखद माहौल बनाए रखने की कोशिश में, देखिए आपने अपने अंदर कितनी अप्रियता दबा रखी है। अगर आप मिट्टी में अप्रियता के बीज डालते हैं, तो आपको अप्रियता के ही फल मिलेंगे। अगर कोई वाकई आपका दोस्त है, तो आपके अंदर उसे नाराज करने का साहस होना चाहिए, और फिर भी उसके प्रति प्रेम और सद्भाव होना चाहिए।



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