समय चक्र
एक बार की बात है, मैं एक जगह आंखें बंद कर के 25-30 मिनट के लिए बैठ गया।
जग्गी वासुदेव |
जब मैंने आंखें खोलीं तो मेरे चारों ओर भीड़ जमा थी। कोई अपने भविष्य के बारे में जानना चाहता था, मैं सोच रहा था, ये सब लोग कहां से आ गए? फिर उन्होंने बताया,‘आप यहां पर 13 दिन से बैठे हैं!’ जब मैंने अपने पैर फैलाने चाहे तो मेरे घुटने जकड़ गए थे। दो घंटों तक मालिश, गर्म पानी का सेक और न जाने क्या-क्या करने के बाद मैं उठ पाया।
मैं एक ही स्थान पर 13 दिनों तक बैठा हुआ था, पर मुझे लग रहा था कि ये बस 25-30 मिनट ही थे क्योंकि आप अपने शरीर से जितने दूर हो जाते हैं, समय का आप पर उतना कम प्रभाव होता है। ऐसे व्यक्ति को समयाधिपति कहा जाता है। वह किसी प्रकार से समय के पार चला गया है। एक बार जब आप समय के पार चले जाते हैं, तो आप के लिए समय महत्त्वपूर्ण नहीं रह जाता। समय से परे जाने की कोशिश मत कीजिए।
जब आप अपने शारीरिक स्वभाव से परे हो जाते हैं तो स्वाभाविक रूप से आप समय से परे चले जाते हैं। बताइए, लोग अपने अंदर समय का खयाल किस तरह रखते हैं? सिर्फ शरीर के ही माध्यम से। उन्हें कैसे मालूम पड़ता है कि अब दोपहर हो गई है? उन्होंने सुबह का नाश्ता कर लिया था, अब दोपहर के भोजन का समय है-एक खाने से दूसरे खाने तक, आपका शरीर समय का ध्यान रखता है।
एक बार जब आप पेशाब के लिए जाते हैं तो फिर दूसरी बार जाने के समय तक, आप का शरीर समय का खयाल रखता है। आप थक जाते हैं तो सोने का समय होता है-यही सब तरीके हैं, समय का खयाल रखने के। अगर मैं आप को यहां तीन घंटे बिठा कर रखूं, तो आप के शरीर की इच्छा हिलने और घूमने की होने लगेगी। मान लीजिए, आप के पास शरीर न हो और मैं आप को यहां दस हजार साल बिठा कर रखूं तो आप को क्या समस्या होगी? आप का शरीर ही आप को ‘समय’ की अनुभूति देता है। एक आवृत्ति का अर्थ है एक घंटा। चंद्रमा जब पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर पूरा करता है तो यह एक महीना हो जाता है, और पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर एक चक्कर एक वर्ष को पूरा कर देता है। सब कुछ चक्रों में चल रहा है।
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