पाचन तंत्र

Last Updated 17 May 2019 01:32:45 AM IST

हो सकता है आप सोचते हों, कि पूरे दिन कुछ न कुछ खाते रहने से आप को और सक्रिय रहने में मदद मिलेगी, लेकिन अगर आप यह देखें कि पेट में खाना भरा होने पर आप का शरीर कैसा महसूस करता है और पेट खाली होने पर कैसा महसूस करता है, तो आप पाएंगे कि पेट खाली रहने पर आप का शरीर और दिमाग दोनों बेहतर काम करते हैं।




जग्गी वासुदेव

अगर आप के पाचन तंत्र में खाना पचाने की क्रिया लगातार जारी रहे तो शरीर की कुछ ऊर्जा लगातार उसी में लगी रहती है, जिससे शरीर और दिमाग सबसे अच्छी तरह से काम नहीं करते। पेट खाली होने का यह मतलब नहीं कि आपको भूख लगने लगेगी। आप को भूख तब लगती है जब ऊर्जा का स्तर बहुत नीचे हो जाता है।

वरना, पेट खाली ही होना चाहिए। अगर आप अपनी पूर्ण क्षमता से काम करना चाहते हैं तो जागरूक बनिये और ऐसा खाना खाईये, जिससे आप का पेट डेढ़ से ढाई घंटों में खाली हो जाए और खाना पेट से निकल कर आंत में चला जाए। उसके बाद शरीर को उतनी ऊर्जा की जरूरत नहीं होती। और 12 से 18 घंटों के बीच खाना आप के शरीर में से पूरी तरह बाहर हो जाना चाहिए। इस बात पर योग बहुत जोर देता है। पेट खाली होने का यह मतलब नहीं कि आपको भूख लगने लगेगी। आप को भूख तब लगती है जब ऊर्जा का स्तर बहुत नीचे हो जाता है।

वरना, पेट खाली ही होना चाहिए। अगर आप इतनी जागरूकता रखते हैं तो आप पर्याप्त ऊर्जा, चुस्ती और सजगता का अनुभव करेंगे। आप चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, कोई भी काम करते हों, यह आप के सफल जीवन के लिए आवश्यक तत्व है। जब पेट में पाचन प्रक्रिया चल रही होती है तब कोशिकाओं के स्तर पर शुद्धिकरण की प्रक्रिया लगभग रु क जाती है।

अगर आप दिन भर खाते ही रहते हैं तो कोशिकाओं में अशुद्धियां लंबे समय तक बनी रहती हैं, जो फिर एक अवधि के बाद शरीर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करती हैं। आंतों से मल बाहर निकलने की प्रक्रिया भी तब सही ढंग से नहीं होती क्योंकि बड़ी आंत में, एक ही समय पर आने की बजाय, अलग-अलग समय पर कचरा आता ही रहता है। यौगिक व्यवस्था में हम ऐसा कहते हैं कि एक भोजन के बाद दूसरा भोजन करने में कम से कम 6 से 8 घंटों का अंतर होना चाहिए।



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