व्यक्तित्व
सभी मनुष्य इस जीवन प्रक्रिया में जागरूकता के साथ या फिर अनजाने में, अपनी एक खास छवि बना लेते हैं, अपने एक खास व्यक्तित्व का निर्माण कर लेते हैं।
जग्गी वासुदेव |
ये जो छवि आपने अपने अंदर बनाई है, उसका आप की वास्तविकता के साथ संबंध नहीं होता। आप के आंतरिक स्वभाव से, आप के अपने आप से इसका कोई संबंध नहीं होता।
ये एक खास छवि है जो आपने अधिकतर बिना जागरूकता के, अनजाने में ही बना ली है। हर एक व्यक्ति की, चाहे वह जो भी हो, उसकी एक खास छवि होती है, लेकिन बहुत ही कम लोगों ने अपनी छवि को होशपूर्वक, जागरूकता के साथ बनाया होता है। बाकी सभी ने अपनी छवि उन बाहरी परिस्थितियों या बाहरी ढांचों के अनुसार बनाई है जिनमें वे होते हैं। तो अब हम अपनी खुद की एक नई छवि होशपूर्वक, जागरूकता के साथ क्यों न बनाएं, जो हम वास्तव में होना चाहते हैं?
अगर आप पर्याप्त रूप से बुद्धिमान और जागरूक हैं तो अपनी एकदम नई छवि का पुनर्निर्माण कर सकते हैं। यह संभव है। लेकिन पहले आप को अपनी पुरानी छवि को पूरी तरह छोड़ देना है। ये बनावटीपन नहीं है। अनजाने में कुछ करने की बजाय आप होशपूर्वक, जागरूकता के साथ इसे करेंगे। आप अपनी उस छवि का निर्माण कर सकते हैं जो पूरी तरह से आपकी सहायक है, अनुरूप है। वो छवि जो आप के चारों ओर समरसता, सामंजस्य बनाए, ऐसी छवि जिसमें कम-से-कम टकराव, संघर्ष या घषर्ण हो और जो आपके आतंरिक स्वभाव के अनुरूप हो। सोचिए, कौन सी छवि आप के आतंरिक स्वभाव के एकदम निकट है? देखिए, आंतरिक स्वभाव एकदम मौन, शांत होता है, वह हावी नहीं हो जाता लेकिन अत्यंत प्रभावी होता है। वो बहुत सूक्ष्म पर काफी प्रभावशाली है।
तो हमें यही करने की जरूरत है-आपके अंदर की बुरी प्रवृत्तियां-आप का गुस्सा, आप की सीमाएं, कमजोरियां-ये सब काट कर फेंक देनी हैं। अपनी एक नई छवि बनाइए, जो सूक्ष्म हो पर जबरदस्त रूप से प्रभावशाली हो। अगले एक दो दिन तक इस बारे में विचार कीजिए और अपने लिये एक उचित छवि बनाइए जो आप के विचारों और आपकी भावनाओं के आधारभूत स्वाभाव के अनुसार हो। कुछ करने से पहले सही ढंग से देखिए कि हम अब जो भी बनाने जा रहे हैं, वो क्या उससे बेहतर हैं जो हमारे पास अभी है। ऐसा समय चुनिए जब आप शांत हों, कोई हलचल न हो।
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