ईश्वर

Last Updated 29 Jan 2019 03:57:15 AM IST

धर्म की छलांग, यह ‘क्वांटम लीप’ गौतम बुद्ध से भी पच्चीस सदियों पहले एक बार लगी थी, और उसका श्रेय आदिनाथ को मिलता है।


आचार्य रजनीश ओशो

उन्होंने पहली बार अनीरवादी धर्म की देशना दी। यह एक बड़ी क्रांति थी क्योंकि पूरे जगत में इसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी कि ईश्वर के बिना भी धर्म हो सकता है।

ईश्वर सभी धर्मो का आवश्यक अंग, एक केंद्रीय तत्व रहा है- ईसाइयत, यहूदी धर्म, इस्लाम सभी का। लेकिन ईश्वर को धर्म का केंद्र बनाने से मनुष्य सिर्फ  एक परिधि हो जाता है। ईश्वर को सृष्टि का सृष्टा माना जाए तो मनुष्य सिर्फ  एक कठपुतली हो जाता है। इसलिए हिब्रू भाषा,  जो यहूदी धर्म की भाषा है, में मनुष्य को आदम कहा जाता है। अदम यानी कीचड़।

इस्लाम धर्म की जो अरेबिक भाषा है, उसमें मनुष्य को आदमी कहा जाता है, जो कि आदम शब्द से बना है। उसका अर्थ फिर कीचड़ होता है। अंगरेजी में जो कि ईसाई धर्म की भाषा बनी, जो शब्द है ‘ह्यूमन’ वह ह्यूमस से आता है; और ह्यूमस यानी मिट्टी। स्वभावत: परमात्मा अगर सृष्टा है, तो उसे कुछ तो बनाना चाहिए। जैसे मूर्ति बनाते हैं, वैसे उसे मनुष्य को बनाना चाहिए।

तो पहले वह मिट्टी से आदमी बनाता है और फिर उसमें प्राण फूंक देता है। लेकिन अगर यह ऐसा है तो मनुष्य अपनी गरिमा खो देता है और अगर ईश्वर मनुष्य और इस सृष्टि का सृष्टा है, तो यह पूरी धारणा ही बेतुकी है क्योंकि मनुष्य को इस सृष्टि को बनाने से पहले, अनंत काल तक वह क्या करता रहा? ईसाइयत के अनुसार उसने जीसस क्राइस्ट के चार हजार चार वर्ष पूर्व सृष्टि की रचना की। तो अनंतकाल से वह क्या कर रहा था? इसलिए यह बेतुकी बात जान पड़ती है।  इसका कोई कारण हो नहीं सकता। इसका कोई कारण हो, जिसके लिए ईश्वर को सृष्टि का निर्माण करना पड़े, तो इसका मतलब है, ईश्वर से भी अधिक शक्तिशाली कोई शक्ति है।

ऐसे कारण हैं, जो उसे सृजन करने को बाध्य करते हैं, ऐसा भी हो सकता है कि अचानक उसमें वासना जगी हो। दार्शनिक दृष्टि से देखें तो यह तर्क मजबूत नहीं है क्योंकि अनंत काल तक वह वासना रहित था-और वासना रहित होना इतना आनंदपूर्ण है कि इसकी कल्पना करना भी संभव नहीं है कि शात आनंदमयता के इस अनुभव से, उसके भीतर वासना पैदा होती है कि वह सृष्टि का निर्माण करे। वासना आखिर वासना ही है; फिर तुम कोई घर बनाना चाहो या प्रधानमंत्री बनना चाहो, या सृष्टि का निर्माण करना चाहो। और ईश्वर की ऐसी कल्पना नहीं की जा सकती कि उसके अंदर वासनाएं हों।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment