रंग

Last Updated 14 Feb 2018 04:27:18 AM IST

हर रंग में कुछ खास तरह की खूबियां और स्पंदन होता है. कुछ हद तक यह अपने आप में एक तरह का सहारा होता है.


जग्गी वासुदेव

किंतु क्या इसका मतलब यह हुआ कि अगर हम काले रंग के कपड़े पहनेंगे तो हमारा मन काला हो जाएगा? हालांकि, इसे पूरी तरह से तो सही नहीं कह सकते, लेकिन कुछ हद तक यह सही है. नारंगी रंग चूंकि कुछ धुंधला होकर हल्का पड़ गया है, इसलिए वह भगवा हो गया है. दरअसल, यह गेरुआ रंग है, आपको गेरुआ रंग का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है. हम इस रंग को इसलिए धारण करते हैं, ताकि यह ज्ञान पाने में हमारे लिए सहायक बन सके. इसलिए हमारे यहां तय किया गया है कि संन्यासी गेरु ए वस्त्र पहनें. एक बात और, समाज में अकसर जब कोई किसी से मिलता है तो उसे कुछ खाने-पीने की चीजें पेश करता है.

ऐसे में संभव है कि कोई आपको सिगरेट भी पेश कर दे. लेकिन अगर हम यह गेरु आ वस्त्र पहने हुए हैं, तो कोई हमारी तरफ सिगरेट नहीं बढ़ाएगा या हम खुद किसी को सिगरेट पीता देख उसकी तरफ हाथ नहीं बढ़ाएंगे. गेरु ए वस्त्र पहनना दुनिया को यह बताने का एक तरीका भी है कि ‘मैं एक खास स्तर तक या चोटी तक पहुंचना चाहता हूं, कृपया आप इसमें मेरी मदद कीजिए.’ अगर आपका ऐसा इरादा है तो हम आपकी मदद करेंगे.

पुराने समय में अपने यहां समाज में यही सोच हुआ करती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज तो लोग इस कोशिश में लगे रहते हैं कि उसे कैसे नीचे गिराया जाए. लेकिन वह दुनिया को यह सब इसलिए बता रहा है, ताकि दुनिया उसका सहयोग कर सके. जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि ब्रह्मचर्य का मतलब ब्राह्मण यानी दिव्य के मार्ग पर चलना है. तो इसके लिए क्या किसी को आधिकारिक तौर पर ब्रह्मचारी बनना होगा? क्या वे इसके बिना आध्यात्मिक मार्ग पर नहीं चल सकते हैं?

देखिए इसमें आधिकारिक जैसी कोई चीज नहीं होती, हर व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहिए. लेकिन बात यह है कि इंसान में शरीर, भावनाओं व विचारों का प्रभाव इतना जबर्दस्त होता है कि वे खुद उस रास्ते पर टिक नहीं पाते हैं. इसलिए उन्हें एक खास तरीके से दीक्षित किया जाता है. इसके लिए खास तरह की साधना की जाती है, उनकी ऊर्जा का खास तरह से रूपांतरण किया जाता है.



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