ऊर्जा

Last Updated 12 Jan 2018 12:21:05 AM IST

जैसे आपने कैथार्ससि या पिलो बीटिंग के जरिए क्रोध-निवृत्ति का प्रयोग बताया, वैसे काम, लोभ, मोह और अहंकार की निवृत्ति के लिए कौन से प्रयोग किए जाएं?


आचार्य रजनीश ओशो

काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार! शब्दों से ऐसा प्रतीत होता है, जैसे बहुत सी बीमारियां आदमी के आस-पास है.

सचाई यह नहीं है. इतनी बीमारियां नहीं हैं, जितने नाम हमें मालूम हैं. बीमारी तो एक ही है. ऊर्जा एक ही है, जो इन सब में प्रकट होती है.

अगर काम को आपने दबाया, तो क्रोध बन जाता है.

और हम सबने काम को दबाया है, इसलिए सबके भीतर क्रोध कम-ज्यादा मात्रा में इकट्ठा होता है. अब अगर क्रोध से बचना हो, तो उसे कुछ रूप देना पड़ता है. नहीं तो क्रोध जीने न देगा. तो अगर आप लोभ में क्रोध की शक्ति को रूपांतरित कर सकें तो आप कम क्रोधी हो जाएंगे; आपका क्रोध लोभ में निकलना शुरू हो जाएगा. फिर आप आदमियों की गर्दन कम दबाएंगे, रुपये की गर्दन पर मुट्ठी बांध लेंगे.

एक बात खयाल में ले लेनी जरूरी है कि मनुष्य के पास एक ही ऊर्जा है, एक ही इनर्जी है. हम उसके पच्चीस प्रयोग कर सकते हैं. और अगर हम विकृत हो जाएं तो वह हजार धाराओं में बह सकती है. और अगर आपने एक-एक धारा से लड़ने की कोशिश की तो आपपागल हो जाएंगे, क्योंकि आप एक-एक से लड़ते भी रहेंगे और मूल से आपका कभी मुकाबला न होगा. तो पहली बात तो यह समझ लेनी जरूरी है कि मूल ऊर्जा एक है आदमी के पास.

और अगर कोई भी रूपांतरण, कोई भी ट्रांसफार्मेशन करना है, तो मूल ऊर्जा से सीधा संपर्क साधना जरूरी है. उसकी अभिव्यक्तियों से मत उलझिए. सुगमतम मार्ग यह है कि आपके भीतर इन चार में से जो सर्वाधिक प्रबल हो, आप उससे शुरू  करिए. अगर आपको लगता है कि क्रोध सर्वाधिक प्रबल है आपके भीतर, तो वह आपका चीफ कैरेक्टर स्टिक हुआ. जो भी आपके भीतर खास लक्षण हो, उस पर दो काम करें.

पहला काम तो यह है कि उसकी पूरी सजगता बढ़ाएं. क्योंकि कठिनाई यह है सदा कि जो हमारा खास लक्षण होता है, उसे हम सबसे ज्यादा छिपा कर रखते हैं. जैसे क्रोधी आदमी सबसे ज्यादा अपने क्रोध को छिपा कर रखता है, क्योंकि वह डरा रहता है, कहीं भी निकल न जाए. वह उसको छिपाए रखता है. वह हजार तरह के झूठ खड़े करता है अपने आस-पास, ताकि क्रोध का दूसरों को भी पता न चले.



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