जानिए, क्यों मनाया जाता है कुम्भ

PICS: जानिए, क्यों मनाया जाता है कुम्भ और क्या है इसकी महत्ता

कुम्भ का इतिहास और उसकी महत्ता के बारे में स्कन्द पुराण और वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि पहले कुम्भ का आयोजन राजा हर्षवर्धन के राज्यकाल (664 ईसा पूर्व) में आरंभ हुआ था। प्रसिद्ध चीनी यी वेंगसांग ने अपनी भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए कुम्भ मेले के आयोजन का उल्लेख किया है। साथ ही साथ उसने राजा हर्षवर्धन की दानवीरता का भी जिक्र किया है। वेंगसांग ने कहा है कि राजा हर्षवर्धन हर पांच साल में नदियों के संगम पर एक बड़ा आयोजन करते थे, जिसमें वह अपना पूरा कोष गरीबों और धार्मिक लोगों में दान दे देते थे। ग्रंथों के अनुसार इन संयोग में कुम्भ का आयोजन होता है। बृहस्पति के कुम्भ राशि में और सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर हरिद्वार में गंगा के किनारे पर कुम्भ का आयोजन होता है। दूसरा जब बृहस्पति के मेष राशि में प्रविष्ट होने और सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में होने पर अमावस्या के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तट पर कुम्भ का आयोजन होता है। तीसरा कुम्भ बृहस्पति एवं सूर्य के सिंह राशि में आने पर नासिक में गोदावरी के किनारे पर कुम्भ का आयोजन होता है और बृहस्पति के सिंह राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर उज्जैन में शिप्रा तट पर कुम्भ का आयोजन होता है।

 
 
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