ऐसा दशहरा जिसमें रावण नहीं मारा जाता

PICS: यहां 75 दिन तक मनाते हैं दशहरा लेकिन नहीं होता रावण वध

इस पर्व के तीसरे चरण में डेरा पाटनी यानी खंभा गाड़ने का विधान भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि को किया जाता है. जगदलपुर स्थित सिरहसार भवन में खंभा गाड़ने की परंपरा निभाई जाती है. इसके बाद रथ निर्माण की प्रक्रिया चलती है. भाद्र मास की अमावस्या को काछनगादी पूजा अनुष्ठान व काछन देवी से अनुमति प्राप्त कर विधिवत दशहरे का आयोजन किया जाता है. काछन देवी दलित वर्ग की एक अल्प वयस्क स्त्री होती है, जिसे कांटों के झूले में लिटाकर उससे दशहरा पर्व मनाने की अनुमति ली जाती है. यह रस्म जाति व्यवस्था के निचले पायदान पर खड़ी नारी के सम्मान का ज्वलंत उदाहरण है.

 
 
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