ऐसा दशहरा जिसमें रावण नहीं मारा जाता

PICS: यहां 75 दिन तक मनाते हैं दशहरा लेकिन नहीं होता रावण वध

इसके अगले दिन ठीक उस स्थान पर पर्व के निर्विघ्न संपन्न होने की कामना के साथ जोगी, जिसे प्राचीन परंपरा के मुताबिक महाराजा का प्रतिनिधि माना जाता है, 9 दिनों तक एक गड्ढे में तप मुद्रा में उपवास पर बैठता है. जोगी बिठाई की रस्म में आवाबाल परगना के हल्बा जाति के युवक को जोगी के रूप में बैठाया जाता है. इस विधान के पीछे का कारण है कि राजतंत्रीय व्यवस्था में राजा माई दंतेश्वरी के छत्र के साथ सवार होते थे. इस दौरान वे जोगी की मुद्रा में रहते थे. इस बीच बाहरी आक्रमण की संभावना होने पर भी वह अस्त्र-शस्त्र धारण नहीं कर सकते थे. इसलिए उनके प्रतिनिधि के रूप में जोगी बैठाने की परंपरा शुरू की गई ताकि राजा युद्ध में जा सके.

 
 
Don't Miss