किडनी फेल्योर के मामले हुए डबल

PICS: भारत में किडनी फेल्योर के मामले हुए डबल

65 प्रतिशत मरीजों को नहीं मिल पाता उपचार : अब सवाल यह है कि क्या भारत में तेजी से बढ़ती किडनी के मरीजों की संख्या को संभालने के लिए संसाधन और विशेषज्ञ हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक भारत स्वास्य क्षेत्र पर ग्रोस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (जीडीपी) का एक फीसद खर्च करता है, जबकि चीन 3 फीसदी और अमेरिका 8.3 फीसद खर्च करता है. पहले के आंकड़ों से पता चला था कि किडनी के रोग के शिकार 65 प्रतिशत मरीजों को समय पर डायलिसिस और उपचार नहीं मिल पाता है. सुप्रसिद्ध डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप गाडगे के मुताबिक किडनी के फेल होने का प्रमुख कारण मधुमेह की बीमारी है और अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में इसके 10 लाख मरीज डायलिसिस के कारण ही जिंदा हैं. डॉ. प्रदीप गाडगे बताते हैं भारत में मधुमेह के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है इसलिए किडनी फेल होने के खतरे वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. वोकहार्टड्स अस्पताल के डॉ. एमएम बहादुर का कहना है, हर साल 2 लाख मरीजों को डायलिसिस की जरूरत होती है, लेकिन 10 प्रतिशत से भी कम मरीजों को यह उपलब्ध हो पाता है, क्योंकि इस पर आने वाले खर्च से लेकर उपलब्धता तक की समस्या है.

 
 
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