Happy Birthday Kader Khan : हफ्ते में 4 दिन भूखे पेट, तो कभी कब्रिस्तान में गुजारा किया

Last Updated 22 Oct 2023 01:11:14 PM IST

कादर खान को बचपन से ही लोगों की नकल करने का शौक था। जब भी कोई उनसे कुछ ऐसी बात कहता था जो उनके दिल को छू जाती थी तो वह अक्सर मस्जिद के पास कब्रिस्तान में बैठ जाते थे और उन्हीं बातों को अपने अनोखे अंदाज में दोहराते थे


गोविंदा की ज्यादातर फिल्मों में नजर आए एक्टर कादर खान की आज जयंती है। काबुल में जन्मे कादर खान ने 2018 में कनाडा की धरती पर आखिरी सांस ली, लेकिन अपने जीवन के इस सफर के दौरान उन्होंने हिंदी सिनेमा में अतुलनीय योगदान दिया। 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके कादर खान न सिर्फ अपने अभिनय से पर्दे पर जादू पैदा करने की क्षमता रखते थे, बल्कि पर्दे के पीछे अपनी कलम से भी कमाल करने का हुनर रखते थे। उन्होंने अपने करियर में करीब 250 हिंदी फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे थे, जिन्हें दर्शक आज तक नहीं भूल पाए हैं।

अभिनय के उस्ताद, कॉमेडी के उस्ताद और कलम के जादूगर कादर खान की प्रतिभा को शब्दों में बयां करना संभव नहीं है। हिंदी सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ने वाले इस अभिनेता का बचपन संघर्षों से भरा रहा। कम उम्र में ही उनके माता-पिता का तलाक हो गया, जिसके बाद उनके जीवन में मुश्किलें बढ़ती गईं। कादर खान के मामा और नाना ने उनकी मां की जबरदस्ती दूसरी शादी करवा दी थी, लेकिन इसके बाद भी गरीबी और भुखमरी दूर नहीं हुई। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें सप्ताह में केवल 3 दिन ही खाना मिल पाता था, बाकी 4 दिन उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता था। इन सब हालात के बीच शायद खुद कादर खान को भी नहीं पता था कि इस अभिनेता को एक्टिंग आसमान की किन बुलंदियों पर ले जाएगी।

कादर खान को बचपन से ही लोगों की नकल करने का शौक था। जब भी कोई उनसे कुछ ऐसी बात कहता था जो उनके दिल को छू जाती थी तो वह अक्सर मस्जिद के पास कब्रिस्तान में बैठ जाते थे और उन्हीं बातों को अपने अनोखे अंदाज में दोहराते थे। उनका ज्यादातर बचपन कब्रिस्तान में दो कब्रों के बीच बैठकर किसी न किसी की नकल करते हुए बीता और इसी एक आदत ने उनकी किस्मत बदल दी थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक दिन जब कादर खान कब्रिस्तान में किसी की नकल कर रहे थे तो अशरफ खान ने उन्हें एक नाटक में काम करने का ऑफर दिया। धीरे-धीरे उनका नाटक लोकप्रिय हो गया और दिलीप कुमार को उनके एक नाटक 'ताश के पत्ते' के बारे में पता चला। दिलीप कुमार अभिनेता के काम से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कादर खान को फिल्मों में काम करने की पेशकश की। फिल्मों में काम करने का मौका मिलते ही कादर खान ने हर किरदार को पूरी शिद्दत से पर्दे पर निभाया और फिर जिंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

समय डिजि़टल
नई दिल्ली


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