सामयिक : तैयारी का उद्घोष
सुरक्षा परिषद में युद्ध को रोकने की पाकिस्तान की गुहार, वैश्विक समुदाय की युद्ध न होने देने की अपील और ईरान की मध्यस्थता की कवायद के बीच भारत ने अपने देश में मॉक ड्रिल करने का निर्णय लिया है।
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यह आपातकालीन संकट या संकट की स्थिति में तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता को परखने का एक प्रभावी तरीका है। इससे सुरक्षा योजनाओं को परखने, उनकी कमी पहचानने और उन्हें सुधारने में मदद मिलती है। इस समय भारत ने मॉक ड्रिल के जरिए दुनिया को साफ संदेश दे दिया है कि पाकिस्तान को सबक देने के लिए पूरी तरह तैयारी कर रहा है, जो सीमित या पूर्ण युद्ध के रूप में हो सकती है।
भारत के कूटनीतिक कदम अब युद्ध की रणनीति की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकार ने पाकिस्तान से सभी आयातों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। देश से सभी डाक सेवाओं को निलंबित कर दिया है, और पाकिस्तानी जहाजों को भारतीय बंदरगाहों पर डॉक करने तक की इजाजत पूरी तरह से रोक दी है। पाकिस्तान के जहाजों को भारत के बंदरगाहों पर एंट्री नहीं दी जाएगी। भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित रखने का फैसला किया है। पाक विमानों के एयरस्पेस को बंद कर दिया है। अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को तुरंत प्रभाव से बंद कर पाकिस्तान से सभी तरह के प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष आयात पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है। पाकिस्तानी नागरिकों को भी सख्ती से देश से बाहर निकाला जा रहा है।
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कूटनीतिक कदमों के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर स्पष्ट कर दिया कि आत्मरक्षा और सुरक्षा के मामले में किसी भी प्रकार की समझौता नीति नहीं अपनाएगा। आम तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रणनीति समय-समय पर बदलती रही है, लेकिन इसके मूल तत्व हमेशा एक जैसे रहे हैं, रक्षा, कूटनीति, आतंकवाद से निपटना और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
अभी तक भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य, कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय रणनीतियों का सम्मिलित रूप से प्रयोग किया गया है, लेकिन अब भारत वैश्विक समुदाय पर निर्भर न रहते हुए पाकिस्तान की शासन और सैन्य व्यवस्था को कड़ा सबक देने को संकल्पित दिखाई पड़ रहा है, और इसलिए भारत सैन्य कदम उठा सकता है। कूटनीतिक हलकों में चीन पाकिस्तान सहयोग को लेकर गहरी चिंता भी है। हालांकि सैन्य स्तर पर चीन को लेकर स्पष्टता रही है कि भारत, चीन और पाकिस्तान का एक साथ मुकाबला किस रणनीति के साथ कर सकता है। भारत की सैन्य रणनीति में रक्षा और आक्रमण, दोनों पहलू शामिल होते हैं। भारत के पास अब सशक्त सैन्य और परमाणु ताकत है, जो पाकिस्तान के खिलाफ उसकी सुरक्षा नीति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम, उन्नत टैंक और स्मार्ट ड्रोन का भी तेजी से विकास किया है। राफेल आधुनिकतम विमान, एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली, भारत की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आयात भी किए गए हैं।
देश के पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत ने करीब पांच साल पहले ही साफ कह दिया था कि भारत की तैयारी हमेशा टू एंड हाफ फ्रंट वॉर की रहती है। उनके ढाई मोर्चे का मतलब बिल्कुल साफ था कि भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ आंतरिक मोर्चे पर इन दोनों देशों द्वारा उत्पन्न की गई समस्याओं का भी सामना करने के लिए मुस्तैद रहना पड़ता है। भारत की सेना दक्षिणी और उत्तरी, दोनों मोचरे पर तैनात है, और किसी भी खतरें से निपटने के लिए मुस्तैद है। हालांकि इस बात की संभावना बेहद कम है कि चीन अपने आर्थिक फायदों को दरकिनार कर पाकिस्तान के साथ पूर्ण युद्ध में भाग ले। चीन की सैन्य रणनीति और आर्थिक महत्त्वाकांक्षाएं इसकी इजाजत नहीं देतीं। दुनिया के सबसे अशांत और असुरक्षित देशों में अग्रणी शुमार किए जाने वाले पाकिस्तान के कई प्रांतों में अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं। देश के सबसे बड़े सूबे बलूचिस्तान के कई इलाकों में घुसने का सेना का साहस नहीं हो पाता और आम जनता को पाकिस्तानी पहचान स्वीकार नहीं है। एक और प्रांत खैबर पख्तुन्वा में अफगान समर्थित आतंकी सगठनों और गुटों का कब्जा है, जो कबीलाई तरीके से शासन व्यवस्था का संचालन करते हैं।
मध्य पूर्व के मुस्लिम देशों के लिए पाकिस्तान की तुलना में भारत ज्यादा महत्त्वपूर्ण कारोबारी साझेदार है। ईरान और पाकिस्तान के संबंध खराब दौर में पहुंच चुके हैं वहीं ईरान और भारत के संबंध बहुत मजबूत हैं। चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाई है, और उसे अमेरिका का समर्थन हासिल है। यदि भारत और पाकिस्तान का युद्ध होता है, और चीन या तुर्की पाक की मदद करते हैं, तो निश्चित ही अमेरिका और इस्रइल भारत का समर्थन करेंगे। अमेरिका और चीन का कड़ी प्रतिद्वंद्विता है वहीं तुर्की और इस्रइल के संबंध बेहद खराब हैं। युद्ध की स्थिति में भारत का अहम दोस्त रूस भी खामोश नहीं बैठ सकता। युद्ध को लेकर भारत की तैयारियां बहु-आयामी और रणनीतिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। भारत, परमाणु शक्ति होने के साथ-साथ, सशक्त और आधुनिक सेना, वायु सेना, नौसेना तथा साइबर और अंतरिक्ष क्षमता के साथ युद्ध के हर संभावित रूप के लिए तैयार है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1947-48, 1965, 1971 और 1999 में करगिल युद्ध जैसे अब तक चार प्रमुख युद्ध हुए हैं। इन युद्धों में भारत को कई प्रकार के रणनीतिक फायदे मिले हैं। ये केवल सैन्य जीत तक सीमित नहीं रहे, बल्कि राजनीतिक, भौगोलिक, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक स्तरों पर भी भारत की स्थिति मजबूत हुई है। यदि दोनों देशों के बीच एक बार फिर युद्ध होता है, तो आर्थिक और आंतरिक रूप से बेहाल पाकिस्तान न केवल बुरी तरह पराजित होगा, बल्कि कई टुकड़ों में भी बिखर जाएगा। यह स्थिति भारत के लिए शांति और स्थायित्व ला सकती है।
(लेख में विचार निजी है)
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