वैश्विकी : ईरान की घेराबंदी और पाकिस्तान

Last Updated 21 Jan 2024 01:13:17 PM IST

फिलिस्तीन में लगी आग दावानल का रूप ले रही है। इसकी चपेट में एशिया का बड़ा भू-भाग आ सकता है। सबसे अधिक खतरा पश्चिम एशिया के तेल और गैस क्षेत्रों की सुरक्षा पर है।


वैश्विकी : ईरान की घेराबंदी और पाकिस्तान

ईरान और पाकिस्तान के बीच मिसाइलों की झड़प से संकेत मिलता है कि बहुत से देश जाने-अनजाने इसमें शामिल हो सकते हैं। ईरान और पाकिस्तान ने फिलहाल अपने संघर्ष को ठंडा करने में सफलता हासिल की है, लेकिन बहुत से देश भविष्य में अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इस संघर्ष को भड़का सकते हैं। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख ने पिछले दिनों अमेरिका की यात्रा की थी, जिस दौरान उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया था।

प्रतीत होता है कि अमेरिका एक बार फिर पाकिस्तान को मोहरा बनाने की कोशिश में है। अमेरिका के रणनीतिक उद्देश्य इस्राइल से मेल खाते हैं। ऐसे समय में जब इस्राइल गाजा के दल-दल में फंसा हुआ है, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका में खलबली मची हुई है। परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान और अमेरिका में जो सहमति बनी थी, वह खंडित हो गई है और ईरान ने यूरेनियम को परिष्कृत करने का काम तेज कर दिया है।

कुछ विश्लेषकों के अनुसार ईरान परमाणु बम बनाने के लिए आवश्यक परिष्कृत यूरेनियम हासिल करने के नजदीक है। उसे रोकने के लिए  अमेरिका के पास कुछ ही हफ्तों का समय है। तनाव के इस माहौल में यह संभव नहीं लगता कि कूटनीति के जरिये ईरान को रोका जा सकता है। यही कारण है कि अमेरिका और इस्राइल ईरान की घेराबंदी करने की रणनीति अपना रहे हैं। इस काम में पाकिस्तान उनके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। ईरान का मिसाइल हमला पाकिस्तान को यह चेतावनी देना भी हो सकता है कि वह अमेरिका और इस्राइल के खेल में शामिल न हो। इस बीच इस्राइल ने ईरान की रिव्यूलेशनरी गार्ड के अधिकारियों को निशाना बनाना शुरू किया है।

सीरिया में रिव्यूलेशनरी गार्ड के कई सैन्य अधिकारी इस्राइल के हमले में मारे गए हैं। ईरान बदला लेने के लिए जवाबी कार्रवाई अवश्य करेगा। लेबनान में हिज्बुल्लाह और यमन में हूती सेना ईरान के दिशा-निर्देशों पर हमले तेज कर सकती हैं। हूती सेना ने लाल सागर की लगभग नाकेबंदी कर दी है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की नौसेनाओं की तैनाती के बावजूद हूती जलयानों को निशाना बना रहे हैं। अधिकतर जलयान कंपनियों ने सतर्कता और सावधानी बरतते हुए लाल सागर का इस्तेमाल बंद कर दिया है। अब इन जलयानों को अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाते हुए यूरोप तक पहुंचना होगा। इसमें समय भी अधिक लगेगा और पैसे भी अधिक खर्च होंगे। यह चीन और भारत जैसे देशों के लिए भी चिंता का विषय है।

फिलिस्तीन के लड़ाकू संगठन हमास से 10 गुना शक्तिशाली है हिज्बुल्लाह तथा हिज्बुल्लाह से 10 गुना शक्तिशाली हूती सेना है। जहां तक ईरान का सवाल है वह सैन्य ताकत में इस्राइल के बराबर है। अंतर केवल इतना है कि इस्राइल के पास परमाणु हथियार हैं साथ ही उसे अमेरिका का परमाणु कवच भी हासिल है। ईरान के लिए यह एक चुनौती है। यही कारण है कि वह परमाणु हथियारों से लैस होने के लिए प्रयासरत है। कोई आश्चर्य नहीं होगा कि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने में सफलता हासिल कर भी ली हो। 

यदि ऐसा होता है तो पूरे एशिया का शक्ति समीकरण बदल जाएगा। फिलहाल, संघर्ष का नया मोर्चा लेबनान में खुल सकता है। हिज्बुल्लाह ने अब तक अपनी सैन्य कार्रवाई को सीमित रखाैहै। लेकिन इसके कारण इस्राइल को सैनिक लामबंदी करनी पड़ी है। इस्राइल में कई नेता प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर जोर दे रहे हैं कि वह बिना देर किए हिज्बुल्लाह के खिलाफ युद्ध छेड़ दें। कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस्राइल के लिए यदि गाजा दल-दल है तो लेबनान उसके लिए जहन्नुम सिद्ध होगा। दुनिया में बड़े संघर्ष के क्षेत्रों यूक्रेन और ताइवान के हालात इस समय नेपथ्य में चले गए हैं, लेकिन जब कूटनीति को तिलांजलि देकर सैन्य संघर्ष को ही प्राथमिकता बना लिया जाए तो कहीं भी किसी भी समय युद्ध छिड़ सकता है। भारत के लिए संतोष की बात यह है कि वह इन संघर्ष से दूर है।

डॉ. दिलीप चौबे


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