एलियंस : अस्तित्व पर उठते सवाल

Last Updated 03 Oct 2023 01:28:07 PM IST

अभी तक एलियंस के दावे हवा-हवाई थे, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने मैक्सिको की संसद में एलियंस के दो शव पेश करके दुनिया को हैरानी में डाल दिया है।


एलियंस : अस्तित्व पर उठते सवाल

ऐसा पहली बार हुआ है कि कथित एलियंस की ममियां पेश करके उनकी उम्र 700 और 1800 वर्ष बताई गई है। अब इस मामले में प्रश्न उठाए जा रहे हैं कि क्या वाकई ये लाषें एलियन की ही हैं। क्या यह हरकत किसी षड्यंत्र का हिस्सा है। बावजूद वैज्ञानिकों का दावा है कि इन ममियों को पेरू के कुस्को क्षेत्र से प्राप्त किया गया है।

एलियंस होने के दावे कोई नई बात नहीं है। अनेक मर्तबा यूएफओ और एलियंस को देखे जाने के दावे तो किए गए हैं, लेकिन वैज्ञानिक एलियन का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी देश की संसद में एलियन के शव बतौर सबूत पेश किए गए हैं। हैरानी इस बात पर भी है कि जिस पराग्रही जीव के होने के अंदाज लगाए जाते रहे हैं, उनके बारे में वैज्ञानिक दावे हैं कि ये चोरी-छिपे पृथ्वी पर आते हैं और पृथ्वीवासी मनुष्य की गतिविधियों पर नजर रखते है। विज्ञान की उपलब्धियों में ये हमसे हजारों गुना ज्यादा जानते हैं।

एलियंस ब्रह्मांड के किसी ग्रह उपग्रह के ऐसे निवासी माने जाते हैं, जो बुद्धि में मनुष्य से तेज हैं। हमारे ही नहीं विश्व के प्रत्येक प्राचीन धर्म की पौराणिक कथाओं में सुदूर ग्रह या लोकों के देवताओं के पृथ्वी पर आने-जाने का उल्लेख मिलता है। इन पौराणिक कथाओं के शाब्दिक अथरे के प्रकाश में उनकी तार्किक उपस्थिति की पड़ताल के लिए वैज्ञानिक सक्रिए हुए हैं। दूसरी ओर, प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने एलियंस से संपर्क नहीं करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने इन्हें पृथ्वी निवासी मानव अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बताया था। उनकी शंका थी कि एलियंस हमसे बेहतर तकनीक वाले जीव हो सकते हैं। हालांकि तमाम जीवविज्ञानियों का मानना तो यहां तक है कि अतीत में सुदूर ग्रहों से परलोकीय प्राणी पृथ्वी पर आए थे और उन्होंने ही मनुष्य को सभ्य होने का रास्ता दिखाया था। अब हमारे पुराणों में तो जितने देवता हैं, उनका निवास परलोक ही है। ये देवता धरती व अन्य ग्रहों पर अपने आकाशगामी यानों से आया-जाया करते थे। हालांकि अब अनेक परंपरागत जड़ताएं टूट रही हैं। वैज्ञानिक एलियंस की सच्चाई को समझने के लिए पराग्रही देवताओं के काल्पनिक व अविसनीय से लगने वाले अस्तित्व में भी झांक रहे हैं।

सुमेर के प्राचीन इतिहास में उल्लेख है कि प्राचीन सुमेरवासी ऐसे लोगों के वंषज हैं, जो मानव नहीं थे तथा अन्य ग्रहों से पृथ्वी पर आए थे। सुमेर की दंतकथाओं में भी यही उल्लेख है। इन कथाओं में ‘अपकल्लू’ नामक देवता का जिक्र बार-बार आया है। सुमेर की प्राचीन शैल-भित्तियों पर कीलाक्षर लिपि में ताम्र-पत्रों पर जो वर्णन है, उससे ज्ञात होता है कि इस देवता का अवतरण प्राचीन सुमेर के जन्म के कई हजार वर्ष पूर्व हुआ था। अमेरिकी खगोलशास्त्री जेएन हाइन ‘अंतरिक्ष में जीवन’ विषय पर शोधरत हैं। उनका मानना है, ‘पृथ्वी के अतिरिक्त अन्य ग्रह भी हैं, जहां मनुष्य से भी अधिक उन्नत और सभ्य प्राणी निवास करते हैं।’ रूसी खगोलशास़्त्री वेलारिना जूरावलेवा ने कहा था कि ‘अपने अध्ययन से हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि अंतरिक्ष के विभिन्न ग्रहों से अंतरिक्ष यात्री अपने अंतरिक्ष यानों द्वारा, प्राचीन काल से पृथ्वी पर आते रहे हैं। हमारी परिकल्पना है कि ये अंतरिक्ष यात्री पौराणिक कथाओं के दवता रहे होंगे?’

ब्रितानी वैज्ञानिक जॉन केज ने स्वीकारा है कि ‘ग्रहों से पृथ्वी पर आने वाले प्राणी, वास्तव में दूरस्थ ग्रहों के ऐसे संज्ञावान प्राणी हैं, जिनकी रचना ऋणात्मक विद्युत से हुई है। वे मानव निर्मिंत सजीव पदाथरे के किसी भी वर्ग में नहीं आते। जब कभी उनमें विद्युत ऊर्जा अधिक हो जाती है, तो वे अतिरिक्त ऊर्जा को विसर्जित करने पृथ्वी पर आ जाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान वे नाना रंग, रूप और आकार धारण करते हैं।’ नासा में भारतीय वैज्ञानिक रहे डॉ. राम सिन्हा ने कहा था कि ‘अंतरिक्ष की खोज से संबंधित वैज्ञानिक अब यह मानते जा रहे हैं कि अतीत में सभ्य ग्रहों के समृद्धशाली व तकनीक से संपन्न लोग पृथ्वी पर आ चुके हैं। उन्होंने पृथ्वी और अन्य अविकसित ग्रहों से लगातार संपर्क बनाए रखने के लिए, अंतरिक्ष में कहीं अपना ठिकाना भी बना रखा है।’

अब वैज्ञानिकों के सामने प्रश्न है कि एलियंस से ऐसी कौन सी भाषा या लिपि में संवाद किया जाए, जिसे वे समझ सकें और प्रतिउत्तर भी भेज सकें। चूंकि वैज्ञानिकों को अब तक यही अंदाजा है कि पराग्रही मानवों की सरंचना भी धरती के प्राणियों जैसी ही होगी। रूस में जिस एलियंस की लाश एक महिला के घर में मिली है, उसकी आकृति हुबहू मनुष्य जैसी ही है, लेकिन वह बौना है। हालांकि हमारे कुछ वैज्ञानिकों की धारणा है कि पराग्रही शायद इतने विकसित हो चुके हैं कि वे स्वयं खतरों की आशंका वाली अंतरिक्ष यात्रा पर नहीं निकलेंगे। बल्कि वहां के वैज्ञानिक और जीव वैज्ञानिकों ने मिलकर अब तक एक ऐसे मानव की उप-प्रजाति विकसित कर ली होगी, जो दूसरे ग्रहों के जीवन-उपयोगी लक्षण समझने में सक्षम हों? बहरहाल जब तक जीवित एलियन से मनुष्य का सामना नहीं हो जाता, तब तक एलियन के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाए जाते रहेंगे।

प्रमोद भार्गव


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