अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी का जोरदार संकेत

Last Updated 05 Jun 2023 01:12:54 PM IST

हाल में जहां 31 मई को सरकार द्वारा प्रकाशित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर अनुमानों से अधिक 7.2 फीसदी रही है, वहीं एक जून को प्रकाशित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के अहम आंकड़ों ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भी अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी का जोरदार संकेत देते हुए विकास दर के 6.5 फीसदी रहने की संभावनाओं को आगे बढ़ाया है।


अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी का जोरदार संकेत

गौरतलब है कि पिछले माह मई, 2023 में वस्तु एवं सेवा कर (GST), विनिर्माण के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI), यात्री वाहनों की बिक्री और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए हुए लेन देन में प्रभावी वृद्धि पाई गई है। यदि हम आंकड़ों की और देखें तो पाते हैं  कि मई, 2023 में जीएसटी संग्रह मई, 2022 के मुकाबले 12 फीसदी बढ़कर 1.57 लाख करोड़ रु पये रहा। उत्पादन में तेजी के कारण मई में पीएमआई 58.7 पर पहुंच गया। पिछले 31 महीनों में पीएमआई का यह सबसे ऊंचा स्तर है। मई, 2023 में यात्री वाहन उद्योग भी तेजी से आगे बढ़ा। यात्री वाहनों की बिक्री भी मई, 2022 के मुकाबले 13.5 फीसदी बढ़कर 3,34,802 इकाई हो गई।

इसी तरह मई में यूपीआई लेन देन ने भी रिकॉर्ड बना दिया। इस महीने में 14.3 लाख करोड़ रुपये के लेन देन हुए। मई, 2023 में कुल 941 करोड़ यूपीआई लेन देन थे, जो मई, 2022 से 6 फीसदी अधिक रहे। ऐसे में चालू वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी और आर्थिक वृद्धि के अनुमान बढ़ गए हैं। निश्चित रूप से हाल में प्रकाशित उत्साहवर्धक आर्थिक आंकड़ों से देश की वैश्विक क्रेडिट रेटिंग भी बढ़ेगी। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि विभिन्न वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत की अनुकूल क्रेडिट रेटिंग का परिदृश्य है। 18 मई को दुनिया की प्रमुख अमेरिका की एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की सॉवरिन रेटिंग स्थिर परिदृश्य के साथ दीर्घावधि के लिए ‘बीबीबी-’ और कम अवधि के लिए ‘-3’ रखी है। यह परिदृश्य बताता है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और राजस्व में अच्छी वृद्धि राजकोष को मजबूती प्रदान करेगी।

गौरतलब है कि 11 मई को प्रमुख वैश्विक क्रेडिट  रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Global credit rating agency CRISIL) ने कहा है कि इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में चुनौतीपूर्ण वैश्विक वित्तीय स्थिति के बावजूद भारत वैश्विक आर्थिक झटकों को इसलिए सरलतापूर्वक झेल जाएगा क्योंकि भारत के चालू खाते के घाटे (सीएडी) में सुधार हुआ है। चालू खाते का घाटा कम अवधि की प्रमुख विदेशी देनदारी के रूप में पहचाना जाता है। इससे विनिमय दर और विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित होती है। इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच भारत का मजबूत आर्थिक प्रदशर्न दुनिया में भारत की अहमियत को बढ़ा रहा है। वर्ष 2023 में कुल वैश्विक विकास में भारत 15 फीसदी से भी अधिक का योगदान देगा।

इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत का बढ़ता विदेश व्यापार और बढ़ता निर्यात भारत की वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को संतोषप्रद बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (GTRI) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आर्थिक अस्थिरताओं के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का विदेश व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 1.6 लाख करोड़ डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का विदेश व्यापार 1.43 लाख करोड़ डॉलर रहा था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24  में भारत का विदेश व्यापार पिछले वर्ष के विदेश व्यापार से और अधिक ऊंचाई पर पहुंच सकता है।

निस्संदेह बढ़ते वैश्विक खाद्यान्न संकट के बीच भारत में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और खाद्यान्न का बढ़ता निर्यात भारत की दुनिया में आर्थिक और मानवीय साख बढ़ा रहा है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार ने वर्ष 2021-22 में 50 अरब डॉलर से अधिक का कृषि निर्यात किया है, वह वर्ष 2022-23 में 56 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर है तथा अब नई विदेश व्यापार नीति से कृषि निर्यात नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगा। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रु झान रिपोर्ट 2021 के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है। लेकिन अभी भी वैश्विक क्रेडिट रेटिंग सुधारने और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर को ऊंचाई देने के लिए कई बातों पर ध्यान देना जरूरी है। इस वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता की कमान रखते हुए भारत को मेक इन इंडिया और मेक फॉर ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढ़ना होगा। देश के दुनिया का नया आपूर्ति केंद्र बनने, अधिक विदेशी निवेश और अधिक निर्यात की संभावनाएं भुनानी होंगी।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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