Yogi Model: दूर तलक सुनाई देगी गूंज
यूं तो लोकतंत्र में हर चुनाव की अहमियत होती है, चाहे वह लोक सभा का चुनाव हो, विधानसभा का चुनाव हो या फिर नगर निकाय का चुनाव ही क्यों न हो।
![]() योगी मॉडल : दूर तलक सुनाई देगी गूंज |
इस लिहाज से कर्नाटक विधानसभा (karnataka assembly election result) के साथ यूपी नगर निकाय चुनावों के परिणाम काफी महत्त्व रखते हैं। कर्नाटक (Karnataka) में BJP भले ही सत्ता से दूर रह गई हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव (Uttar Pradesh civic elections) में मिली प्रचंड जीत के बाद कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ का यूपी मॉडल प्रदेश के समावेशी विकास और सुशासन की जन-आकांक्षाओं पर पूरी तरह खरा उतरा है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इस प्रचंड जीत के साथ सूबे में ट्रिपल इंजन सरकार की गूंज 2024 के लोक सभा चुनाव में भी सुनाई देगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) के लिए तो यह चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं था। प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों में पहली बार बीजेपी ने एक साथ पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की है। इसे ही कहते हैं क्लीन स्वीप। राज्य में 200 नगर पालिकाएं हैं। 1999 में चुनाव हुए। 2017 में बीजेपी 60 नगर पालिकाओं में जीती थी लेकिन इस बार उसे दोगुने से ज्यादा सीटें मिली हैं। नगर पंचायतों में भी अभूतपूर्व सफलता मिली है। गहराई से आकलन करें तो यह पहला चुनाव था जो पूरी तरह से अकेले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी लड़ी और जीती।
निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) के परिणामों से उत्तर प्रदेश के BJP कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं, और ताज्जुब नहीं कि आगामी लोक सभा चुनाव में भी योगी के ‘यूपी मॉडल’ की गूंज सुनाई दे। 2017 के विधानसभा चुनावों से लेकर यूपी में अब तक हुए हर चुनाव पर नजर डालें तो योगी आदित्यनाथ की छवि कद्दावर नेता के तौर पर उभरती नजर आती है। 2017 में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद जब योगी आदित्यनाथ सूबे के मुख्यमंत्री बनाए गए थे तो उनकी अगुवाई में बीजेपी ने पहला चुनाव नगर निकाय का ही लड़ा था। उस चुनाव में भी बीजेपी ने 16 नगर निगमों में से 14 पर जीत हासिल की थी। 70 नगर पालिका और नगर पंचायतों में 100 सीटों पर जीत के साथ बढ़िया प्रदशर्न किया था।
पांच साल बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए दोबारा यूपी की सत्ता हासिल की। इस प्रचंड जीत से योगी की छवि निखर कर सामने आई लेकिन चुनावी पंडित इस वक्त तक भी इन्हीं सवालों से जूझ रहे थे कि योगी अकेले पार्टी की चुनावी नैया पार लगा सकते हैं क्या? प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम् के तौर पर जवाब अब सबके सामने हैं। कर्नाटक विधानसभा और यूपी निकाय चुनाव एक दिन के अंतराल पर हुए। चुनाव के दौरान बीजेपी की केंद्रीय टीम ने कर्नाटक में ताकत झोंक रखी थी। इस वजह से सीएम योगी को निकाय चुनाव में अकेले ही मोर्चा संभालना पड़ा। निकाय चुनाव में जीत सीएम योगी के लिए क्या अहमियत रखती थी, इसका अंदाजा उनकी चुनावी रैलियों से लगाया जा सकता है। इस दौरान योगी ने महज 13 दिनों में ‘संवाद का अर्धशतक’ लगाया और 50 रैलियां कीं। हर दिन वो अलग-अलग जनपदों में जनता से संवाद करते दिखे, मतदाताओं को संबोधित करते दिखे। निकाय चुनाव के बीच तीन दिन के लिए चुनाव प्रचार करने कर्नाटक भी गए। हर चुनावी रैली में सीएम योगी ने यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की सफलता, यूपी में नये मेडिकल कॉलेज, हाईवे समेत तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तथा राज्य में चौतरफा विकास पर अपनी बात रखी लेकिन सबसे ज्यादा जोर अपराधियों और माफिया के खिलाफ कार्रवाई पर दिया।
पूरे चुनाव में ‘माफिया को मिट्टी में मिला देंगे’ वाला बयान ट्रेंड करता रहा। अपनी रैलियों में योगी ने ‘नो कर्फ्यू, नो दंगा, यूपी में सब चंगा’, ‘रंगदारी न फिरौती, अब यूपी नहीं है किसी की बपौती’ सरीखे लोकप्रिय नारे भी गढ़े। उमेश पाल हत्याकांड के बाद यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन से लेकर बदमाशों का एनकाउंटर हो या माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस कस्टडी में हत्या, बीजेपी के प्रचार अभियान ने हाल के इन घटनाक्रम को इस तरह से पेश किया जैसे योगी सरकार में ही यह सब संभव था। कहने का मतलब यह कि योगी सरकार चौतरफा विकास पर ध्यान दे रही है तो कानून का राज स्थापित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके सकारात्मक नतीजे भी दिखने लगे हैं। राज्य में निवेश लगातार बढ़ रहा है।
बहरहाल, कोई कुछ भी कहे लेकिन बीजेपी को पता है कि उत्तर प्रदेश बदलाव के दौर से गुजर रहा है। योगी आदित्यनाथ भी भली-भांति समझते हैं कि जनता विकास और तरक्की चाहती है, कानून का राज चाहती है ना कि जातिगत उलझनों में फंसना। जनता बाहुबली और माफिया के आतंक से मुक्ति चाहती है। लिहाजा, राजनीतिक दल भले ही बुलडोजर कार्रवाई की निंदा करें, बुलडोजर बाबा कहकर देश और दुनिया में बदनाम करते रहें, लेकिन योगी अपने पथ पर अडिग चले जा रहे हैं।
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