बजट : आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते कदम

Last Updated 09 Feb 2022 12:04:08 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल दिशा-निर्देश और दूरगामी नीतियों का ही परिणाम है कि दो वर्ष कोविड महामारी से जूझने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है।


बजट : आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते कदम

आगे भी विकास की रफ्तार ऐसी ही बनी रहे, यह बजट सौ वर्ष की सबसे भयंकर आपदा के बीच विकास के नये विश्वास की लकीर खींचता है। मोदी सरकार का यह बजट न सिर्फ विकास की दूरगामी सोच को परिलक्षित करता है अपितु अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही आम जनता के लिए अनेक अवसर पैदा करने वाला है।

सही मायनों में देखें तो बजट तत्कालीन आवश्यकताओं का भी समाधान करता है और देश के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य को भी सुनिश्चित करता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आधुनिकता व टेक्नोलॉजी की अनिवार्यता को पूरा करने का प्रयास वित्त मंत्री ने इस बजट में किया है। किसान ड्रोन, वंदेभारत ट्रेन, डिजिटल करेंसी, डिजिटल बैंकिंग इकाइयां या फिर 5जी सेवाओं की शुरुआत, अंतत: सबका लाभ देश के युवा, मध्यम वर्ग और समाज के निचले तबके में रहने वाले वंचित लोगों को मिलेगा। सामाजिक विकास की दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार ने गरीब कल्याण पर बजट में पूरा जोर दिया है। इस बजट ने गरीबों की आवास की आवश्यकता को पूरा करने की दिशा में मजबूत कदम उठाया है। केवल घर ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री की सोच के मुताबिक प्रत्येक गरीब को शुद्ध पेयजल की पूर्ति नल से हो, उसके पास शौचालय हो, गैस की सुविधा हो, इन सभी मूल आवश्यकताओं पर बजट में विशेष ध्यान दिया गया है। बजट में मुख्यत: बड़ा जोर इंफ्रास्ट्रक्चर पर है। गतिशक्ति मिशन के तहत बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया गया है।

भारतीय जनता पार्टी की सरकारों का हमेशा इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस रहा है। इस बार भी वित्त मंत्री ने सड़क, रेल, एयरपोर्ट, शिपिंग, बंदरगाह जैसे सात क्षेत्रों के विकास पर जोर दिया है। इसीलिए वित्त मंत्री ने पीएम गतिशक्ति को सरकार की प्राथमिकता बताया है। इस संदर्भ में बजट के प्रावधानों से स्पष्ट है कि सरकार अब इसमें निजी क्षेत्र की और भागीदारी बढ़ाना चाहती है। अर्थव्यवस्था की आधुनिक सोच के लिहाज से यह सही भी है कि सरकार को बिजनेस करने में नहीं उसे रेगुलेट करने तक सीमित रहना चाहिए। सरकार की इस सोच को वित्त मंत्री ने इस बार के बजट में भी आगे बढ़ाया है। यही नहीं सरकार ने अपने बजट में पहाड़ी क्षेत्रों के विकास पर भी जोर दिया है। बजटीय घोषणाओं में इस बात पर पूरा ध्यान दिया गया है कि हिमालय के समस्त क्षेत्र में जीवन आसान बने और वहां से लोगों का पलायन रु के। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत जैसे क्षेत्रों के लिए पहली बार देश में ‘पर्वतमाला योजना’ शुरू करने का ऐलान बजट में किया गया है। यह योजना पहाड़ों पर परिवहन और कनेक्टिविटी की आधुनिक व्यवस्था का निर्माण करेगी।

यही नहीं बजट में मां गंगा की सफाई के साथ-साथ किसानों के कल्याण के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, इन राज्यों में गंगा किनारे, नैचुरल फॉर्मिंग को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इससे गंगा की सफाई का जो अभियान है, उसमें गंगा को केमिकल मुक्त करने में भी बहुत बड़ी मदद मिलेगी। इस बार के बजट में कृषि को हाइटेक बनाने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती पर भी फोकस है। बजट के प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि किसानी लाभप्रद हो, किसानों को नये अवसर मिलें। बजट में प्रस्तावित नये एग्रीकल्चर स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष फंड और फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए नया पैकेज जैसे प्रस्तावों से किसानों की आय बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। इतना ही नहीं किसान आंदोलन में मुद्दा बने एमएसपी के लिए वित्तमंत्री ने किसानों के खाते में सवा दो लाख करोड़ रु पये से भी ज्यादा की राशि सीधे ट्रांसफर करने का प्रावधान किया है। साथ ही फर्टिलाइजर सब्सिडी को 79 हजार करोड़ से बढ़ाकर सीधा 1 लाख 5 हजार करोड़ रु पये किया गया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र में अलग से सहकारी मंत्रालय बनने का ही नतीजा है कि इस बार बजट में सहकारी क्षेत्र को टैक्स में राहत मिल गई है। अभी तक सहकारी समितियों को 18 प्रतिशत वैकल्पिक कर जमा करना होता था, जबकि निजी कंपनियों के लिए इस कर की दर 15 प्रतिशत थी। इस बार के बजट में सरकार ने सहकारी क्षेत्र को निजी कंपनियों के बराबर ला दिया है। सहकारी समितियों को सरचार्ज के रूप में भी अब 12 प्रतिशत की बजाये केवल सात प्रतिशत सरचार्ज का भुगतान करना होगा। छोटे और मझोले उद्योग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। कोरोना काल में छोटे उद्योगों की मदद और उनकी सुरक्षा के लिए देश ने बीते दो वर्ष में कई निर्णय लिये हैं। कई तरह से इन उद्योगों को मदद पहुंचाई गई है। इस बजट में भी क्रेडिट गारंटी में रिकॉर्ड वृद्धि के साथ ही कई अन्य योजनाओं का ऐलान किया गया है। रक्षा क्षेत्र में खरीद का 68 प्रतिशत घरेलू उद्योगों के लिए आरक्षित करने का लाभ भी इन छोटे उद्योगों को मिलेगा। यह आत्मनिर्भरता की तरफ बहुत बड़ा मजबूत कदम है। यह बजट भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के साथ ही स्वतंत्रता के 100वें वर्ष के नये भारत की नींव डालेगा।
(लेखक भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं)

अभिषेक कृष्ण दुबे


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