रिकार्ड टीकाकरण : मोदी हैं तो मुमकिन है
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों..!’
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दुष्यंत कुमार की लिखी ये पंक्तियां सार्थक हुई हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के युग प्रवर्तनकारी नेतृत्व से। वैश्विक महामारी कोविड-19 ने जब दुनिया को अपनी गिरफ्त में लिया, तो उस समय इससे निपटने के लिए न कोई वैक्सीन थी और न ही इससे बचाव के लिए कोई दवा। पूरी दुनिया दहशत में थी। अपने देश में तो और भी मुश्किलें थी, क्योंकि अब तक ऐसी परिस्थितियों में कोई भी स्वदेशी वैक्सीन विकसित नहीं की गई थी। फिर भी, प्रधानमंत्री मोदी के प्रखर नेतृत्व की ताकत है कि भारत में न केवल कोरोना रोधी वैक्सीन विकसित हुए, बल्कि टीकाकरण अभियान भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ। महज 357 दिनों, यानी एक वर्ष से भी कम समय में देश में कोरोना रोधी स्वदेशी वैक्सीन के 150 करोड़ से अधिक डोज दिए गए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनकल्याण के संकल्प से ही टीकाकरण का यह अभियान इस तरह सफल हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने टीकाकरण अभियान की सफलता को बहुत बड़ी उपलब्धि बताते हुए वैज्ञानिकों, वैक्सीन निर्माताओं, हेल्थ एवं फ्रंटलाइन वर्करों तथा हेल्थ सेक्टर से जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सबके प्रयास से ही देश ने टीकाकरण के संकल्प को शून्य से शिखर तक पहुंचाया है। कोराना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान की सफलता इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि दुनिया के विकसित देशों में जब किसी बीमारी का वैक्सीन लोगों को लगा दिया जाता था, तब पांच-दस सालों बाद भारत को वैक्सीन मिलता था। इसके बाद ही टीकाकरण अभियान शुरू होता था, जबकि देश में विस्तरीय वैज्ञानिक हैं एवं कई कंपनियां वैक्सीन उत्पादन करने में सक्षम हैं।
पोलियो के खिलाफ टीकाकरण अभियान इसका जीवंत उदाहरण है। पोलियोरोधी टीका 1952 में विकसित होने के बाद भी भारत में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम 1995 में शुरू हुआ था। इस दौरान करीब तीन वर्ष (1977 से 1980) छोड़कर कांग्रेस पार्टी की ही सत्ता थी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करते हुए कोराना वायरस के संक्रमण के फैलते ही देश के वैज्ञानिकों को ऐसे तैयार किया कि अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन के साथ ही भारत में भी कोरोनारोधी वैक्सीन विकसित कर लिये गए। इसके साथ ही भारत ने आयुर्विज्ञान में विकास की नई दूरी तय की। देश में कोरोना रोधी टीकाकरण की शुरुआत 16 जनवरी 2021 को हुई। दुनिया में कोविड-19 की एक के बाद एक लहर और बड़ी संख्या में हो रही मौतें यह बताती हैं कि अगर भारत में कोरोनारोधी स्वदेशी वैक्सीन विकसित नहीं किए जाते, तो क्या हालात होते? स्वतंत्रता के करीब सत्तर सालों बाद देश की बागडोर एक प्रतिभावान कुशल नेतृत्व के हाथों में है।
चाहे भारत की अखंडता को लेकर अनुच्छेाद-370 हटाने की कार्रवाई हो, या सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए एक बार में तीन तलाक को खत्म करने का मामला हो या देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने की बात हो। 21वीं सदी के महानायक के रूप में उभरे प्रधानमंत्री मोदी ने पुरानी सभी अवधारणाओं को तोड़कर नये भारत का निर्माण किया, जो सशक्त और आत्मनिर्भर है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए दुनिया में कोई दवा नहीं होने के बावजूद मोदी विचलित नहीं हुए और देशवासियों को संक्रमण से बचाने के कार्य में जुट गए। प्रधानमंत्री मोदी भारतीय वैज्ञानिकों एवं दवा कंपनियों को निरंतर सहयोग एवं प्रोत्साहन देकर वैक्सीन विकसित कराया। परिणामस्वरूप वैज्ञानिकों ने विश्व में अपनी उत्कृष्ट क्षमता का प्रदर्शन करते हुए देश में पहली बार नौ महीने के भीतर कोविशील्ड और कोवैक्सीन नामक दो स्वदेशी वैक्सीन विकसित कर दिए। स्वास्थ्य सेवा की बेहतर आधारभूत संरचना के कारण विकसित देशों के लोगों को विश्वास था कि उन सभी को वैक्सीन लग जाएगा, लेकिन भारत में क्या होगा, जहां 135 करोड़ की आबादी है। इतने बड़ी आबादी तक वैक्सीन कैसे पहुंचेगा और लोगों को किस तरह व्यवस्थित ढंग से टीकाकरण किया जा सकेगा। मीडिया से लेकर आम लोग तक यह सवाल उठा रहे थे। वहीं, कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने वैक्सीन के विरु द्ध अभियान चलाना शुरू कर दिया था, ताकि टीकाकरण में बाधा आए।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर बार-बार टीकाकरण पर सवाल उठाया। वहीं, उनकी पार्टी के नेता राशिद अल्वी ने स्तरहीनता में कोई कसर नहीं छोड़ी और कह दिया कि इस वैक्सीन को विपक्ष के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा, जैसे सीबीआई, ईडी का किया जाता है। वहीं, एक पंथ विशेष के लोगों ने स्वदेशी वैक्सीन को अपने पंथ के खिलाफ बताकर टीकाकरण विरोधी अभियान चलाया। हद तो तब हो गई, जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजनीति के निचले पायदान पर पहुंचते हुए स्वदेशी वैक्सीन को बीजेपी का वैक्सीन बता दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने दिखा दिया कि नीयत साफ हो और काम करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कोई काम असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री एवं विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलकर निरंतर वैज्ञानिकों एवं उद्योगपतियों से जुड़कर अनुसंधान एवं उत्पादन कार्यों को तेजी प्रदान की। विशेषज्ञों के परामर्श से प्राथमिकता निर्धारण करने के लिए टीकाकरण नीति और कमिटी बनाई गई। अप्रैल एवं सितम्बर 2020 तक इन समितियों की दस बैठकें हुई।
प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर पर इसकी निरंतर मॉनीटिरंग की गई। स्वदेशी वैक्सीन कोविशील्ड एवं कोवैक्सीन के सभी मापदंडों पर खरा उतरने पर प्रधानमंत्री मोदी ने 16 जनवरी 2021 को टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया। महज 278 दिनों में 100 करोड़ डोज वैक्सीनेशन का आंकड़ा पार कर लिया गया, जो अपने आप में विश्व रिकार्ड है और अब एक वर्ष से कम समय में 150 करोड़ डोज लोगों को लगाए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की जा रही है। कोरोना के खिलाफ इस विशाल टीकाकरण अभियान की सफलता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ‘मोदी हैं तो मुमकिन है।’
(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी हैं)
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