रैलियों पर रोक : समझदारी भरा फैसला
देर से ही सही, कोरोना संक्रमण को रोकने के मद्देनजर राजनीतिक दलों ने अपनी रैलियों और सभाओं पर रोक लगाने का जो फैसला किया, वह सराहनीय पहल कहा जा सकता है।
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जिस प्रकार कोरोना की तीसरी लहर लोगों को तेजी से अपने चपेट में ले रही है। ऐसे में चुनाव जैसे महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय उत्सव को सतर्कता के साथ आगे ले जाने की जरूरत है। अच्छी बात है कि सबसे पहले कांग्रेस ने अपनी 15 सभाएं रद्द करने का निर्णय लिया।
कोरोना वेरिएंट ओमीक्रोन के बढ़ते मामले को देखते हुए कांग्रेस ने जो दरियादिली दिखाई है, दूसरी अन्य पार्टियों के लिए यह अनुकरणीय बन गया। इसके बाद समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने भी विधानसभा चुनाव के कई कार्यक्रम रद्द कर दिए। बड़ी बात यह है कि राजनीतिक दलों के इस कदम से जनता को बहुत राहत मिली है। उनके बीच एक संदेश गया है कि-जान है तो जहान है। सबसे पहले इस महामारी में खुद को बचाना बेहद जरूरी है। अब तो पांच राज्यों में चुनाव के तारीखों की घोषणा भी हो चुकी है, जिसमें बकायदा चुनाव आयोग ने कहा है कि डोर-टु-डोर कैंपेन में भी अधिकतम पांच लोग ही शामिल हो सकेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। इसमें शामिल होने वाले लोगों के लिए कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था राजनीतिक दल ही करेंगे और मतगणना के बाद किसी भी तरह के विजय जुलूस की इजाजत नहीं होगी। जैसा कि आपको मालूम है कि पिछली दो लहर में देश में कितनी जानें गई।
अचानक कोरोना के मरीज बढ़ जाने से अस्पतालों में कितनी अफरा-तफरी मची। दवा या ऑक्सीजन को लेकर कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ी। घर से श्मशान तक कैसे लोगों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। यह सोचकर भी दिल कांप उठता है। देश भर में जबरदस्त वैक्सीनेशन के बावजूद अगर कोरोना का वैरिएंट हमें फिर से डराने लगा है और अपनी गिरफ्त में लेने लगा है तो हमें सचेत हो जाना चाहिए। सरकार और प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए। देशहित से पहले जनहित का ख्याल रखना भी हमारे नेताओं का कर्तव्य बनता है। पिछले चुनाव में रैलियों और सभाओं की भरमार रही थी, जिस वजह से महामारी का संकट और भी बढ़ गया था। अब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है तो एक प्रकार से तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। कांग्रेस ने जहां उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और वाराणसी में आयोजित होने वाले- लड़की हूं लड़ सकती हूं, मैराथन के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया। वहीं समाजवादी पार्टी ने 7 से 9 जनवरी तक गोंडा, बस्ती और अयोध्या में होने वाली अपनी विजय रथ यात्रा को भी निरस्त कर दिया। दूसरी तरफ भाजपा ने नोएडा में होने वाली मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली रद्द कर दी, साथ ही 9 जनवरी को लखनऊ में होने वाली प्रधानमंत्री मोदी की रैली को भी स्थगित कर दिया। माना जा रहा था कि इस रैली से ही पीएम मोदी विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकने वाले थे। पार्टी की ओर से हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई, लेकिन जनहित में यह फैसला जनता को राहत पहुंचाने वाला जरूर है। इसे देखते हुए आम आदमी पार्टी ने भी अपनी कई सभाओं को रद्द कर दिया। यह भी सुकून भरी खबर है कि इनमें कई पार्टयिां अब वर्चुअल रैली की ओर रु ख कर रही हैं। विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी पार्टयिां डिजिटल रैली और जनसभाएं कर सकती हैं। सभी राजनीतिक दलों ने उप्र में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह कदम उठाया है। चुनाव आयोग ने भी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को सलाह दी है कि वे अपने चुनाव प्रचार कार्यक्रमों को डिजिटल मोड में ही चलाएं। वैसे 15 जनवरी तक कोई भी रोड शो, बाइक रैली, जुलूस या पद यात्रा की इजाजत नहीं होगी। यही नहीं 15 जनवरी तक कोई फिजिकल रैली भी नहीं आयोजित की जाएगी।
बढ़ते कोरोना के बीच पांच राज्यों के चुनाव को संपन्न कराना चुनाव आयोग के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं। जब 30 दिसम्बर को मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा लखनऊ गए थे तो इस मामले में कई सावधानियां बरतने के आदेश दिए थे। पार्टी ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि बड़ी रैलियों के बजाए छोटी सभाएं और चौपाल की इजाजत दी जाए। कई दलों ने डिजिटल मोड में प्रचार-प्रसार करने की मंशा जताई थी। देश में एकबार फिर जब कोरोना मामले लाखों में पहुंच चुका है तो चिंता होना लाजिमी है, ऐसे में अन्य पार्टियों को भी अपना बड़ा दिल दिखाने की जरूरत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे में प्रधानमंत्री को फिरोजपुर दौरा रद्द कर देना चाहिए था। जब आप ऐसा करते हैं तो जनता के बीच यह संदेश जाता है कि जब प्रधानमंत्री ऐसा निर्णय ले सकते हैं तो उन्हें भी सरकार के उपायों एवं बचाव संबंधी सलाह को गंभीरता से लेना चाहिए। तीसरी लहर की पहले से आशंका लगने लगी थी, इसके बावजूद पाबंदियों का उल्लंघन होता रहा। परिणाम हमारे सामने हैं। रैली एवं सभाओं पर रोक लगाकर महामारी रोकने का जो मन बनाया गया है। उसे लेकर आयोग को भी ऐसा दिशा-निर्देश बनाना चाहिए ताकि जनता का भी हित हो और नेता भी उन तक अपनी बात आसानी से पहुंचा सके।
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