विश्व हिंदी दिवस : विश्व भाषा बनती जन भाषा

Last Updated 10 Jan 2022 12:43:26 AM IST

वर्ष 2007 से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। संख्या के आधार पर विश्व में हिंदी भाषा अंग्रेजी और मैंड्रेन भाषा के बाद तीसरे स्थान पर है।


विश्व हिंदी दिवस : विश्व भाषा बनती जन भाषा

हिंदी आज राष्ट्रभाषा, राजभाषा, संपर्क भाषा ही नहीं, बल्कि बाजार की भाषा भी है। भूमंडलीकरण के पश्चात उपभोक्तावादी संस्कृति ने विज्ञापनों को जन्म दिया जिससे न केवल हिंदी का अनुप्रयोग बढ़ा, बल्कि युवाओं को रोजगार के नये अवसर भी मिले।
हिंदी लगभग डेढ़ हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी है किंतु  इक्कीसवीं सदी में हिंदी का विकास बीसवीं शताब्दी से कई गुना तीव्र गति से हो रहा है। मोबाइल क्रांति एवं  विज्ञान एवं तकनीक के सहारे पूरी दुनिया वैश्विक बाजार बन चुकी है। हिंदी अब विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है, जिसका कारण हिंदी भाषा का लचीलापन है।  अनुकूलन की क्षमता के कारण यह सभी भाषाओं  के शब्दों को अपने अंदर समेट लेती है। सहजता और सरलता हिंदी को प्रसारित करने के योग्य बनाती है, और इसी से यह तकनीकी भाषा के रूप में स्वीकृत होती जा रही है। वैश्विक पटल पर हिंदी संपर्क, प्रचार के साथ वैश्विक बाजार की भाषा बनती जा रही है। अमेरिका की भाषा नीति में दस नई विदेशी भाषाओं को जोड़ा गया है, जिनमें हिंदी भाषा भी शामिल है। मॉरीशस एवं ब्रिटेन में भी हिंदी का वर्चस्व बढ़ा है। कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र ने भी हिंदी न्यूज बुलेटिन की शुरु आत की थी। भारत के बाहर 260 से भी अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी की पहुंच है। हिंदीभाषी लोग 137 से अधिक देशों में हैं। जहां भी भारतीय बसे हैं, वहां पर  हिंदी है। विदेशों में 35 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं। 14 सितम्बर, 1949 को संविधान की भाषा समिति ने हिंदी को राजभाषा के पद पर आसीन  किया क्योंकि भारत की बहुसंख्यक जनता द्वारा हिंदी भाषा का प्रयोग किया जा रहा था। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिंदी भाषा में प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं ने देश को आजाद करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा भारतीओं को एक सूत्र में बांधे रखा।

स्वतंत्रता के बाद भी हिंदी भाषा राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का कार्य कर रही है। अब वैश्विक फलक पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है। बढ़ते अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के साथ-साथ हिंदी भाषा के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी जबर्दस्त प्रगति हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को स्थापित करने में अनुवाद और अनुवादकों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। कोई व्यक्ति स्वतंत्र अनुवादक के तौर पर आजीविका चला सकता है, खुद की अनुवाद फर्म स्थापित कर सकता है। ऐसी फम्रे अनुबंध आधार पर कार्य प्राप्त करती हैं। विदेशी एजेंसियों से भी अनुवाद परियोजनाओं के अवसर प्राप्त होते हैं। विश्व भर में सिस्ट्रॉन, एसडीएल इंटरनेशनल, डेट्रॉयर ट्रांसलेशन ब्यूरो, प्रोज आदि असीमित संख्या में भाषा कंपनियां हैं। इनमें से ज्यादातर भाषायी-उन्मुख कंपनियां हैं, जो बहुभाषी सेवाएं उपलब्ध कराती हैं, और इनमें से एक भाषा हिंदी भी है। सामान्यत: इन फर्मो में रोजगार के अवसर स्थायी या स्वतंत्र अनुवादकों तथा भाषांतरकारों के रूप में उपलब्ध होते हैं। 57 देशों के उच्च न्यायालय अपने देश में अपनी मातृभाषा में काम करते हैं। भारत में भी उच्च न्यायालय में हिंदी या स्थानीय भाषा के प्रयोग की मांग बढ़ रही है। हिंदी के साथ-साथ इंग्लिश या एक अन्य भाषा की समझ अब जरूरी है। वेब, विज्ञापन, सिनेमा और बाजार के क्षेत्र में हिंदी की मांग जिस तेजी से बढ़ी है, वैसी किसी और भाषा में नहीं। विज्ञान एवं तकनीक के रोजमर्रा के काम में उपयोग के बाद, अनुवाद प्रौद्योगिकी, गूगल, नेटिफ्लक्स, अमेजन, हिंदी में लोकलाइजेशन के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी बैंकिंग कारोबार, जनसंपर्क, विज्ञापन में हिंदी भीषयों के लिए रोजगार के अवसर बनेंगे।   
नि:संदेह, हिंदी के प्रति देश-विदेश में रुख बदला है। संसद से सड़क तक हिंदी का उपयोग बढ़ा है, नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं के महत्त्व पर अधिक जोर दिया गया है। आवश्यकता इस बात की है कि हिंदी भाषाविद्, विधि, विज्ञान, वाणिज्य तथा नवीनतम तकनीक के क्षेत्र में पठन सामग्री उपलब्ध कराएं जिससे दूसरी भाषाओं की पुस्तकों पर निर्भर न रहना पड़े। दृढ़ इच्छाशक्ति और सम्मिलित प्रयास से ही यह संभव हो पाएगा। यही प्रयास हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की सातवीं आधिकारिक भाषा बनाने में भी अपेक्षित है। हिंदी को भी वैश्विक स्तर तक पहुंचाया जा सकता है बशत्रे हम उसका उपयोग सम्मान के साथ करें। हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्राह्य बनाने के लिए उसे पारंपरिक व्याकरण के दबाव से मुक्त करना होगा। हिंदी भाषा को भावी भाषा बनाना हिंदीभाषियों और अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस का लक्ष्य होना चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि पहले भारतवासी उसे हर क्षेत्र में प्रयोग में लाएं तभी वह जन भाषा से विश्व भाषा बन पाएगी। रोजगारपरकता, व्यावसायिकता, लोकप्रियता जैसी तमाम विशेषताओं को समेटे हिंदी वैश्विक परिप्रेक्ष्य में नई ऊंचाई की तरफ कदम बढ़ा रही है।

डॉ. ऐश्वर्या झा


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