त्वरित टिप्पणी : कठिन परिस्थिति में क्रांतिकारी बजट

Last Updated 02 Feb 2020 02:38:35 AM IST

कठिन परिस्थितियों में लिए जाने वाले निर्णय कई बार सुखद मालूम नहीं देते परंतु भविष्य के लिए वो आवश्यक होते हैं।


त्वरित टिप्पणी : कठिन परिस्थिति में क्रांतिकारी बजट

ऐसा ही कुछ इस बार के बजट में हुआ है। वित्तीय घाटे की स्थिति को देखते हुए इनकम टैक्स में बहुत कुछ छूट की गुंजाइश नहीं थी। मगर इस क्षेत्रों में बहुत क्रांतिकारी बदलाव हुआ है और ये क्रांतिकारी बदलाव इनकम टैक्स के  सरलीकरण का है। अब अनावश्यक रूप से सिर्फ  टैक्स बचाने के लिए घर में निवेश करने की या तरह -तरह के लंबे निवेश की बाध्यता समाप्त हो गई। यह कोई आसान निर्णय नहीं है। अभी तक काफी लोगों ने हाउसिंग सेक्टर में निवेश का निर्णय उस पर मिलने वाली छूट की वजह से किया। यह निवेश ज्यादातर जीवन में एक बार ही किया जाता है। मध्यमवर्गीय टैक्स पेयर अपने पास जो पूंजी होती थी उसे मिला कर बैंक से लोन ले कर फ्लैट खरीदने का प्रबंध करता था। चाहे उसके पास पैतृक घर हो तब भी। उसके द्वारा या सेल्स मैन द्वारा गणना यह की जाती थी कि ऐसा करने से टैक्स में भारी बचत होगी।

यह एक फंदा था। यह अब तक कि सबसे बड़ी मिससेलिंग स्कीम थी जिससे बचाव का रास्ता इस बजट ने दिखाया। रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश का मुख्य कारण टैक्स बचाने के लिए बैंक से लोन ले कर निवेश करना होता था। बड़े बिल्डर लाखों लोगों को कर्ज में धकेल निकल जाते थे। इस बजट में इसे एक झटके में खत्म कर दिया गया। मगर इस सेक्टर में पहले से ही मंदी है और इसलिए इस परिप्रेक्ष्य में यह एक कल्याणकारी और क्रांतिकारी कदम है जिसे स्टॉक मार्केट ने फिलहाल नेगेटिव रूप में लिया है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि हाउसिंग लोन रिबेट कभी खत्म हो सकती है। वाकई मिलेनियम्स तरह तरह के निवेश विकल्पों में उलझ जाते थे इन्शुरन्स प्रीमियम, एनपीएस, म्यूच्यूअल फंड, हाउसिंग लोन उसका प्रिंसिपल, उसका ब्याज, पीपीएफ इत्यादि। लगभग 70 तरह के झमेलों से मुक्ति दिलाई इस बजट ने। टैक्स देने वाले जो निवेश एवं कर्ज नहीं चाहते अब विकल्प पा गए हैं।

म्यूच्यूअल फंड के डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के हटने से कम आय वाले फायदा पाए हैं और इनकम टैक्स में बदलाव से ज्यादा आय वालों को लाभ हुआ है। सरल गणना बता रही है कि अधिक आय वाले ब्रैकेट में छूट न लेने वालों को 78000 का और समस्त छूट लेने वाले को 7800 रु पये का लाभ होगा। सरकार इस मद में चालीस हजार रुपये के राजस्व का घाटा उठाएगी। यह पैसा मार्किट में खर्च होगा, ऐसा अनुमान है। विदेशी निवेशकों को डिविडेंड टैक्स हटने से और कुछ श्रेणी के निवेशकों को टैक्स मुक्त होने का लाभ होगा। कृषि एवं ढांचागत क्षेत्र की और हमेशा विशेष ध्यान रखा जाता रहा है । यह इस बजट में भी दृष्टिगोचर है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तमाम दवाबों के बावजूद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में कोई छूट नहीं दी गई। हकीकत तो यह है कि किसी भी प्रकार के टैक्स में कोई वृद्धि नहीं की गई। यह गनीमत है। नॉनबैंकिंग फाइनेंस कंपनियां अब छोटे एवं मझोले कारोबारियों के बिलों को डिस्काउंट कर सकेंगी एवं पांच करोड़ तक ऑडिट की बाध्यता का समाप्त किया जाना बहुत अच्छे प्रावधान हैं।

नॉमिनल जीडीपी का 10 प्रतिशत लक्ष्य इन्फ्लेशन के बढ़ने के खतरे की पूर्व सूचना है। एलआईसी के विनिवेश की बात नई टैक्स स्कीम के साथ विरोधाभासी है मगर विदेशी निवेश के सरलीकरण से यह विनिवेश सम्पन्न हो सकता है। एक राजनेता अगले चुनाव की सोचता है और एक सच्चा नेता अगली पीढ़ी की सोचता है। इस बजट से टैक्स पेयर्स की जिंदगी में एक सरलता का आगमन हुआ है । बाकी प्रावधान हर बजट में कुछ न कुछ होते ही रहते हैं । मगर यह कदम क्रांतिकारी एवं कल्याणकारी है।

अनिल उपाध्याय
आर्थिक विशेषज्ञ


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