मुद्दा : पीओके का हल जरूरी

Last Updated 22 Aug 2017 12:56:13 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के 71वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से उल्लेख किया कि जम्मू-कश्मीर की समस्या कश्मीरी लोगों को गले लगाने से हल होगी न कि गोली या गाली से.


पीओके का हल जरूरी

पाक का नाम लिए बिना पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि इससे दुनिया को भारत का लोहा मानना पड़ा. यह भी कहा कि आतंकवाद से निबटने में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. 
हाल में पाक की बर्बरता उस समय सामने आई जब पाक-अधिकृत कश्मीर के स्थानीय लोगों ने इस विवादित क्षेत्र में आतंकी शिविर, पाक सरकार और सेना के खिलाफ व्यापक आंदोलन छेड़ दिया. यह लोग रैली की शक्ल में पाक सरकार और पाक आर्मी के खिलाफ नारे लगा रहे थे. आजादी की मांग कर रहे थे. उनका कहना है कि आतंकी शिविर स्थापित कर पाकिस्तान इस क्षेत्र में ‘टेरर फैक्टरी’ बनाने में लगा है. अभी यहां पचास आतंकी शिविर चलाए जा रहे हैं. इनमें अधिकतर लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-झांगवी और इस्लामी स्टेट जैसे प्रतिबंधित संगठनों के हैं. यहां आतंकवादियों को प्रशिक्षित करके जम्मू-कश्मीर और अफगानिस्तान भेजा जाता है. लोगों का आरोप है कि क्षेत्र में पाकिस्तानी सरकार ने नियंत्रण रेखा के आसपास से स्थानीय आबादी को हटा कर पाक-पंजाब प्रांत के आतंकवादियों, अफगान शरणार्थियों और पाक-परस्त दहशतगदरे को बसा दिया है. इनकी मदद से जम्मू-कश्मीर में विध्वंसक कार्रवाइयां करा रही है. जनता किराये के इन आतंकियों द्वारा की जाने वाली चोरी, अपहरण, हत्या, महिलाओं की इज्जत लूटने की घटनाओं से तंग आ चुकी है, जबकि यहां के कानून के अनुसार बाहर से आया व्यक्ति यहां बस नहीं सकता. न ही मकान-जायदाद खरीद सकता है. पाक खैबर-पख्तूनख्वाह प्रांत के पठानों का अधिकांश स्थानीय व्यापार पर नियंत्रण है. नौकरियों पर पंजाबियों और पठानों का कब्जा है, जिन्होंने फौज की मदद से इस क्षेत्र की ज्यादातर जमीन-जायदाद पर जबरन कब्जा जमा रखा है. पाकिस्तान एक तरफ दावा करता है कि उसको कश्मीरियों की चिंता है, वहीं उसने इस कब्जाए क्षेत्र को संवैधानिक रूप से न कोई देश माना है और न ही कोई प्रांत. यहां केवल कठपुतली सरकार, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनाए जाते हैं. अधिकारियों की नियुक्ति इस्लामाबाद से की जाती है. बजट भी इस्लाबाद में तैयार होता है.

जनता इसलिए भी नाराज है कि पाकिस्तान चीन के हाथों की कठपुतली बनता जा रहा है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीआईसी) यहां से होकर गुजरेगा. यहां बड़ी संख्या में चीनी बस जाएंगे. इससे उनकी रोजी-रोटी प्रभावित होगी. जेकेएनएपी के वरिष्ठ नेता लियाकत हयात खान ने कहा है कि हम सरकार से क्षेत्र में आतंकी शिविर न चलाने और आतंकियों को लाकर बसाना बंद करने को कह रहे हैं. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा.
अच्छी बात यह है कि भारत ने यूएन में साफ शब्दों में कहा है कि पाक-अधिकृत कश्मीर से पाकिस्तान अवैध कब्जा तुरंत हटाए. युनाइटेड नेशन ह्यूमन कौंसिल में भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर की प्रमुख समस्या पाक की धरती से चलने वाला आतंकवाद है. पाक अपनी स्टेट पॉलिसी के तहत आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है. यहां के लोगों के मूल अधिकारों को छीन रहा है. भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने फिर कहा है कि पाक-अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इसलिए उन्होंने वहां के एक बीमार व्यक्ति को भारत आने के लिए पाकिस्तान की सरकार की सिफारिश के बिना मेडिकल वीजा दिया है.
सच तो यह है कि भारतीय फौज द्वारा इस क्षेत्र में दाखिल होकर पिछले दिनों की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक-अधिकृत कश्मीर के लोगों की भारत से मिलने की बेचैनी और बढ़ गई है. एक अनुमान के अनुसार यहां के 90 प्रतिशत लोग भारत के साथ रहना चाहते हैं. भारत की जनता भी भाजपा-नीत नरेन्द्र मोदी सरकार से उम्मीद कर रही है कि वह पाक-अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान  के कब्जे से छुड़ाने के लिए संजीदा कोशिश करेगी. काबिले गौर है कि इससे पहले संसद में इस हिस्से को छुड़ाने के लिए कई बार प्रस्ताव भी पास हो चुके हैं, लेकिन उन पर अभी तक कोई अमल नहीं हो सका है. बदलते हुए इन हालात से मौजूदा भारतीय सरकार को फायदा उठाना चाहिए और पाक-अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाने के लिए ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.

कुलदीप तलवार
लेखक


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