कोल्ड स्टार्ट से घिरेगा पाक

Last Updated 27 May 2016 05:28:05 AM IST

जब पाकिस्तान के आतंकवादियों ने संसद पर आक्रमण किया था तो भारत को उसके विरुद्ध युद्ध की रणनीति को सोचने और क्रियान्वित करने में एक महीने का समय लग गया.


कोल्ड स्टार्ट से घिरेगा पाक

अगर पाकिस्तान में ट्रेनिंग प्राप्त आतंकवादियों ने फिर ऐसी रणनीति अपनाई तो भारत ऐसे हादसों से निपटने के लिए कोल्ड स्टार्ट  सिद्धांत अपनाएगा.

‘कोल्ड स्टार्ट’ एक ऐसा नवीन सैन्य सिद्धांत है, जिसे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ संभावित युद्ध को ध्यान में रखकर विकसित किया है. ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत के अनुसार आदेश मिलने के 48 घंटों के भीतर हमला शुरू किया जा सकता है. इतने कम समय में हमला करने से भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को आश्चर्यचकित कर देगी. इस पद्धति में भारतीय सेना के विभिन्न हिस्सों को आक्रमण के लिए एकीकृत करने पर जोर दिया गया है. इस तरह का अभियान पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में होगा.

कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत का एक उद्देश्य युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान को परमाणु हमले से रोकना है, क्योंकि उसे परमाणु हमले के लिए जरा भी समय नहीं देना है. इस योजना में मूलत: तेजी से हमले पर जोर दिया गया है. बख्तरबंद वाहन और तोपखाना पाकिस्तान के इलाके में कम-से-कम समय में प्रवेश कराया जा सकता है. पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेनाओं को कुछ हफ्तों के स्थान पर केवल कुछ दिनों में ही तैनात करने के लिए कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत बनाया गया था. इसका परीक्षण अभी युद्ध में किया जाना शेष है. इसका उद्देश्य है कि तत्काल लामबंदी और त्वरित हमले से पाकिस्तान को आश्चर्यचकित कर देना.

इससे पाकिस्तानी प्रतिक्रिया के पहले ही भारत अपने हित को हासिल कर सकेगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा युद्ध रोकने की पहल से पूर्व ही भारत अपने उद्देश्यों को पूर्ण कर चुका होगा. सेना लम्बे समय से एक सैन्य सिद्धांत पर कार्य कर रही थी जो काफी पुराना पड़ चुका था. संसद भवन पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सेनाओं की तैनाती के लिए ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान इस सिद्धांत की कई कमजोरियां प्रकाश में आई. इनको दूर करने के कई प्रयास किए गए. इसके बाद सेना ने एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया. पाकिस्तान को असुरक्षित स्थिति में दबोचने और परमाणु हथियारों की छाया में युद्ध से कई समस्याएं हैं. इस सिद्धांत के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन में भी कई किंतु-परंतु हैं. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का अंदाजा पहले से नहीं लगाया जा सकता और पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा कम समय के लिए ही हो सकता है, क्योंकि उसे अधीन नहीं बनाया जा सकता. भारतीय रणनीति जिसका लक्ष्य आश्चर्य और गति के साथ परंपरागत हमला करना है, इस तथ्य की अनदेखी करता है कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं. इन हथियारों को तेज गति से हमले में भी नष्ट नहीं किया जा सकता है.

वास्तव में कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत केवल पश्चिमी मोच्रे पर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में ही अपनाया जा सकता है. पाकिस्तान से युद्ध सिर्फ भारत की समस्या नहीं है. ऐसी स्थिति में चीन एक दूसरा मोर्चा भी खोल सकता है. दो मोचरे पर युद्ध एक अलग तरह का खेल होगा. दो मोचरे पर युद्ध की रणनीति अभी सिद्धांत रूप में आनी बाकी है. इस बात के संकेत हैं कि एक साथ संभावित दो मोचरे पर युद्ध की रणनीति के सिद्धांत पर गहन चिंतन चल रहा है. चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सहयोग को देखते हुए यह संभव है कि भारत को दो मोचरे पर युद्ध का सामना करना पड़े. भारत सिर्फ पाकिस्तान को ध्यान में रखकर कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत लागू नहीं कर सकता. दो मोचरे पर युद्ध की बढ़ रही संभावना के मद्देनजर चीन राजमागरे की एक श्रृंखला का विकास कर रहा है.

इसका उद्देश्य गिलगिट-बल्टिस्तान क्षेत्र में सैन्य संरचना में सुधार तथा सैनिकों एवं साजो-सामान की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित करना है. भारत को उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए युद्ध के परंपरागत ढंग के विचार में परिवर्तन करना होगा और एक सुचिंतित तथा सुविचारित सैन्य सिद्धांत तैयार करना होगा. भारत के नए सिद्धांत में नियंत्रण और निर्देश के प्रशिक्षण एवं तरीकों में बदलाव की आवश्यकता होगी.  नया सिद्धान्त निर्णय लेने को आसान बनाने एवं युद्ध की तैयारियों को बढ़ाने वाला होना चाहिए. उसका उद्देश्य युद्ध में विरोधियों के विकल्पों को सीमित करने वाला होना चाहिए. भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि युद्ध में जमीनी बलों की तैनाती में संतुलन हो. जमीनी मोचरे की रणनीति का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा रियल  टाइम. ‘रियल टाइम’ संचार डिजाइनिंग का महत्त्व यह होगा कि इससे वरिष्ठ कमांडरों को अग्रिम मोचरे पर स्थिति को समझने में मदद मिलेगी.

पाकिस्तान के गठबंधन से चीन भारत की उत्तरी सीमाओं पर नई हथियार प्रणालियों की तैनाती करके अपनी आक्रामक क्षमता बढ़ा रहा है. आशय यह है कि युद्ध के दौरान इससे सैन्य संतुलन में परिवर्तन किया जा सके. चीन बहुत तेजी से सैन्य आधुनिकीकरण कर रहा है जो उसकी शक्ति में अत्यधिक वृद्धि करेगा. इन घटनाक्रमों में भारत को सुरक्षा परिदृश्य में होने वाले बदलावों पर करीबी से नजर रखनी पड़ेगी, जो चीन-पाकिस्तान के नजदीकी सहयोग से पश्चिमी सीमा पर हो रहे हैं और क्षेत्र में बहुमुखी सैन्य खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत यहां महत्त्वपूर्ण है. इस बात की सूचना है कि चीनी सेना तिब्बत के पठार में भारतीय सीमा के समीप सैन्य अभ्यास करती है जिसमें वायुसेना, तोपखाना और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध डिविजन शामिल होती हैं. बहरहाल हमारी रणनीति, वायु, साइबर और भूमि सीमाओं पर अक्रामक तैयारियों पर निर्भर करेगी. दुश्मन के क्षेत्र पर कब्जे के लिए अहम निर्णय पर आगे बढ़ने का प्रतिमान दुश्मन के युद्ध मशीनरी के विनाश पर आधारित होता है.

के. सिद्धार्थ
लेखक


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