कश्मीर राग पर करारा जवाब

Last Updated 05 Oct 2015 06:12:25 AM IST

कश्मीर के मुद्दे पर भारत का लचीला रूख दूर हो रहा है और उसकी आक्रामकता दिखाई देने लगी है.




कश्मीर राग पर करारा जवाब

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर का राग अलापने पर दो टूक उत्तर देते हुए कहा कि पाकिस्तान को यदि कश्मीर की चिंता है तो पहले गुलाम कश्मीर को खाली करे, जिस पर उसने अवैध कब्जा कर रखा है. इसी तरह कश्मीर से सेना मुक्ति की मांग को खारिज करते हुए करारा जवाब दिया कि जरूरत सुरक्षा बल हटाने की नहीं, पाकिस्तान से आतंकवाद खत्म करने की है.

निसंदेह कूटनीति के स्तर पर पाक की हर ईट का जवाब भारत ने पत्थर से देना शुरू कर दिया है. इसी का परिणाम है कि पाक को संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में सफलता नहीं मिली. बावजूद पाक ने भारत से बातचीत के जो चार सूत्र रखे थे, उनमें चालाकी बरतते हुए यह भी जोड़ दिया कि नियंतण्ररेखा पर गोलीबारी बंदी की निगरानी संयुक्त राष्ट्र का पर्यवेक्षण दल करे. लेकिन गुलाम कश्मीर की जनता पाक सरकार और सेना के खिलाफ खड़ी होती दिखाई दे रही है. वहां की जनता गिलगित और मुजफ्फराबाद समेत कई क्षेत्रों में न केवल सड़कों पर उतरी, बल्कि भारत के समर्थन में नारे लगाते हुए कहा कि \'पाकिस्तान से अच्छा भारत है.\' बदली हुई यह स्थिति यदि भारत की रणनीति का हिस्सा है तो निसंदेह इस कूटनीति की सराहना करने की जरूरत है.

संयुक्त राष्ट्र की महासभा में नवाज शरीफ ने कश्मीर के परिप्रेक्ष्य में चार बिंदु रखे थे. उसी मंच पर इन सभी सूत्रों का विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जिस तार्किक बेबाकी के साथ खंडन-मंडन किया, उनके जवाब में शरीफ मुंह लटकाए रह गए. फलस्वरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वराज की इस जोरदार प्रस्तुति की सार्वजनिक प्रशंसा की. सुषमा स्वराज ने कहा कि यदि पाकिस्तान को कश्मीर की चिंता है तो वह पहले गुलाम कश्मीर खाली करे. इसी तरह कश्मीर से सेना हटाने की मांग को निरस्त करते हुए उन्होंने कहा कि पहले पाक को खुद आतंकवाद से मुक्त होने की जरूरत है. दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी शरीफ के सवालों के कूटनीतिक उत्तर ट्वीट करके दिए. उन्होंने कश्मीर व फिलीस्तान के लोगों का विदेशी कब्जाधारियों द्वारा दमन के शरीफ के आरोप के जबाव में ट्वीट किया कि पाक प्रधानमंत्री ने विदेशी कब्जे की बात तो सही कही है, लेकिन कब्जा करने वाले की तरफ उनका इशारा गलत है. हम अपील करते हैं कि पाकिस्तान कश्मीर को जल्द खाली करे. साफ है कि विदेश मंत्रालय की टीम ने भारतीय पक्ष को मजबूती से रखने में सफलता हासिल कर ली है.  

 सुषमा स्वराज ने फिर भी उदारता दिखाते हुए अंत में कहा कि चार सूत्रों की जगह इस समस्या के हल के लिए एक सूत्र पर्याप्त है. वह है, \'आतंकवाद को संरक्षण देना बंद करिए और बैठकर बात करिए.\' इस बेबाक जबाव से दुनिया में यह पैगाम गया है कि पीओके समेत संपूर्ण कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है. हालांकि इस मुद्दे पर नरसिंह राव सरकार ने भी कड़क रुख अपनाया था. तब भारतीय संसद में बाकायदा प्रस्ताव पारित किया गया था कि पाक अधिकृत कश्मीर के साथ वह भू-भाग जो पाक ने चीन को बेच दिया है, वह भी हमारा है. यह सही भी है कि जब राजा हरिसिंह कश्मीर के शासक थे तब पाकिस्तानी कबाइलियों ने अचानक हमला करके कश्मीर का कुछ हिस्सा कब्जा लिया था. तभी से पाकिस्तान उसे अपना बताता आ रहा है, जो पूरी तरह असत्य है. यह अच्छी बात है कि मोदी सरकार ने इस दावे को ताकत से अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाकर यह साबित कर दिया कि गुलाम कश्मीर न केवल भारत का है, बल्कि वहां के लोग भारत में शामिल होने के पक्षधर हैं.

गुलाम कश्मीर में पाक सरकार के खिलाफ विरोध प्रदषर्न हो रहे हैं, तो उसकी वजह वहां रह रहे नागरिकों का शोषण और दमन है. इस दमन की तस्वीर उस वीडियो से सामने आ गई है जिसका प्रसारण हाल ही में समाचार चैनलों पर हुआ है. इसमें जो दृश्य दिखे, वे रूह कंपा देने वाले हैं. एक क्लीपिंग में पाकिस्तानी सैनिक एक कश्मीरी के गले में कुत्ते का पट्टा डाले हुए हैं और उसे बेहरमी से घसीट रहे हैं. पीछे चलने वाले तीन सैनिक उसकी पीठ पर जूते की नोक से ठोकर मार रहे हैं. इस पीड़ित व्यक्ति के इर्दगिर्द भीड़ चल रही है, जो पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ नारे लगा रही है. एक दूसरी फूटेज में एक युवक को पाक फौजी घर में घुसकर बाहर खींच रहे हैं और महिलाएं युवक को बख्श देने के लिए गिड़गिड़ा रही हैं. पाकिस्तानी सेना की बर्बरता को बेपर्दा करते इस वीडियो को पाक सरकार फर्जी बता रही है और उसकी सत्यता परखने की मांग उठा रही है. वीडियो की प्रामाणिकता की मांग कतई गलत नहीं है, लेकिन गुलाम कश्मीर में पिछले कुछ सालों से लगातार इस्लामाबाद के खिलाफ माहौल बन रहा है और आजाद कश्मीर की आवाज बुलंद हो रही है. इसलिए इस वीडियो की सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है.

दरअसल, पाकिस्तान द्वारा पीओके के लोगों के साथ निम्न स्तर के पुलिसिया हथकंडे अपनाए जाते हैं. यहां महिलाओं को वोट का अधिकार नहीं है. नौजवानों के पास रोजगार नहीं है और लाचार व गरीब महिलाओं को जबरन वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है. पीओके में एक बड़ी आबादी शिया मुसलमानों की है, जो शेष पाकिस्तान में शिया मस्जिदों पर हो रहे हमलों से आतंकित है. दूसरी तरफ पीओके के निकट खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत और कबाइली इलाकों में तालिबान और पाक फौज के साथ जारी संघर्ष का असर गुलाम कश्मीर पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से पड़ रहा है. फलस्वरूप खेती-किसानी, औद्योगिक-प्रौद्योगिक विकास, सड़कें, रोजगार और पर्यटन की सुविधाओं से यह क्षेत्र महरूम है. स्वास्थ्य और शिक्षा का भी यहां सर्वथा अभाव है. इसलिए यहां के लोग खासकर युवा पीढ़ी नियंत्रण रेखा के इस पार, यानी जम्मू-कश्मीर के लोगों जैसे जीवन की महत्वाकांक्षा पालने लग गई है.
 
पीओके के जनमामनस में यह अंगड़ाई इसलिए करवट ले रही है, क्योंकि 2005 में जब पीओके में भूकंप आया था तो उसमें करीब 50 हजार लोग मारे गए थे, लेकिन पाक सरकार ने प्रभावित क्षेत्र में राहत के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए. इसी तरह पिछली साल जब पीओके समेत पूरे कश्मीर में बाढ़ ने तबाही मचाई तो भारत ने तो अपने कश्मीर में बचाव के लिए युद्धस्तर पर सेना को लगाया. हेलीकॉप्टरों से लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाला और खाद्य सामग्री पहुंचाई. किंतु पाक ने भारत का अनुकरण नहीं किया और बाढ़ग्रस्त जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया. इसके उलट प्रधानमंत्री मोदी ने जब नवाज शरीफ को मानवीयता के आधार पर मदद का संदेश भेजा तो नवाज शरीफ ने उसे अहंकार के चलते ठुकरा दिया.

नतीजतन पीओके में पाक के विरोध और भारत के समर्थन में पृष्ठभूमि तैयार होती चली गई. भारत के लिए यह ऐसा अवसर है, जिसे कूटनीति के स्तर पर भुनाने की जरूरत है. यह ठीक भी रहा कि भारत इन हालातों को अपने हित में करने की पुरजोर कोशिश में लग गया है.

 

प्रमोद भार्गव
लेखक


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