गेहूं की बढ़ती कीमतें रोकने के लिए स्टॉक लिमिट लागू
सरकार ने 15 साल में पहली बार गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सोमवार को मार्च, 2024 तक तत्काल प्रभाव से गेहूं पर भंडारण सीमा (स्टॉक लिमिट) लागू कर दी।
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इस रोक का उद्देश्य गेहूं की जमाखोरी और मूल्यवृद्धि को रोकना है।
सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत पहले चरण में केंद्रीय पूल से थोक उपभोक्ताओं और व्यापारियों को 15 लाख टन गेहूं बेचने का भी फैसला किया है। गेहूं के अलावा ओएमएसएस के तहत थोक खरीदारों को चावल की बिक्री की जाएगी और समय आने पर बिक्री की मात्रा तय की जाएगी।
सरकार ने स्पष्ट किया कि उसकी गेहूं आयात नीति में बदलाव की कोई योजना नहीं है क्योंकि देश के पास इस खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक है। इसने आगे कहा कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा और फिलहाल चीनी के निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आम चुनाव शुरू से पहले मार्च, 2024 तक गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी गई है। पिछली बार स्टॉक लिमिट वर्ष 2008 में लगाई गई थी।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि गेहूं पर स्टॉक सीमा लगाई गई है क्योंकि कुछ ‘बेईमान तत्व स्टॉक जमा कर कृत्रिम अभाव की स्थिति पैदा कर रहे हैं’ जिससे पिछले महीने मंडी की कीमतों में लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि थोक और खुदरा कीमतें उतनी नहीं बढ़ी हैं।
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