रेलवे ने खान-पान पर सेवा शुल्क हटाया, लेकिन खाने की कीमत में जोड़ दिया

Last Updated 19 Jul 2022 03:14:33 PM IST

रेलवे ने उन सभी खाद्य और पेय पदार्थों पर ‘ऑन-बोर्ड’ सेवा शुल्क हटा दिया है जिनके लिये प्रीमियम ट्रेनों में पहले से ऑर्डर नहीं दिया जाता।


हालांकि इसमें एक पेंच है- नाश्ते, दोपहर के भोजन या रात्रिभोज की कीमतों में 50 रुपये का शुल्क जोड़ा गया है।

चाय और कॉफी की कीमतें सभी यात्रियों के लिए समान होंगी, भले ही आपने इनके लिये पहले से बुकिंग की हो या ट्रेन में ही ऑर्डर किया हो। इसके लिये दरों में कोई वृद्धि नहीं होगी।

भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (आईआरसीटीसी) के पहले के प्रावधान के तहत अगर किसी व्यक्ति ने अपनी ट्रेन की टिकट बुक करते समय ही भोजन के लिये बुकिंग नहीं कराई है तो उन्हें यात्रा के दौरान खान-पान का ऑर्डर देते समय अतिरिक्त 50 रुपये का भुगतान करना होता था, भले ही उन्होंने महज 20 रुपये की चाय या कॉफी का ही ऑर्डर किया हो।

अब, राजधानी, दुरंतो या शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों में सवार यात्री, जिन्होंने अपना भोजन पहले से बुक नहीं किया है, उन्हें चाय के लिए 20 रुपये का भुगतान करना होगा (उन लोगों द्वारा भुगतान की गई राशि के समान जिन्होंने अपना भोजन पहले से बुक किया था)। पहले ऐसे यात्रियों के लिये चाय की कीमत 70 रुपये थी, जिसमें सर्विस चार्ज भी शामिल था।

पहले नाश्ते, दोपहर के भोजन और शाम के जलपान की दर क्रमशः 105 रुपये, 185 रुपये और 90 रुपये थी, जबकि प्रत्येक भोजन के साथ 50 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता था। हालांकि, यात्रियों को अब इन भोजन के लिए क्रमश: 155 रुपये, 235 रुपये और 140 रुपये का भुगतान करना होगा तथा भोजन की लागत में ही सेवा शुल्क जुड़ जाएगा।

एक अधिकारी ने बताया, “सेवा शुल्क हटाने का असर सिर्फ चाय और कॉफी के मूल्य में नजर आएगा। इसमें, पहले से बुकिंग नहीं कराने वाले यात्री को भी उतना ही शुल्क देना होगा जितना की बुकिंग कराने वाले यात्री को देना है। हालांकि अन्य सभी भोजन के लिए सेवा शुल्क राशि को गैर-बुकिंग सुविधाओं के लिए भोजन की लागत में जोड़ दिया गया है।”

वंदे भारत ट्रेनों के लिए, जिन यात्रियों ने यात्रा के दौरान भोजन सेवाओं की बुकिंग नहीं की है, उन्हें नाश्ते/दोपहर के भोजन या रात के खाने/शाम के नाश्ते के लिए उतनी ही राशि चुकानी है, जितनी कि वे तब चुकाते थे जब सेवा शुल्क वसूला जाता था। ऐसा इसलिए है क्योंकि वृद्धि, शुल्क के तौर पर न दिखाकर खाने की कीमत के तौर पर दिखाई गई है।

भाषा
नई दिल्ली


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