इलेक्ट्रिक वाहनों का 90 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात, लेकिन आईआईटी खड़गपुर कर रहा है एक नई शुरूआत

Last Updated 07 Jul 2022 02:13:05 AM IST

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि सच्चाई यह है कि अभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों का 90 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात किया जा रहा है।


इलेक्ट्रिक वाहनों का 90 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात, लेकिन आईआईटी खड़गपुर कर रहा है एक नई शुरूआत

खास बात यह है कि यह विदेशी आयात एवं तकनीक हमारे देश के पर्यावरण, सड़क और यातायात स्थितियों के लिए उपयुक्त भी नहीं हैं। किसी को देखते हुए भारत में ही इलेक्ट्रिक वाहनों को विकसित करने के उद्देश्य से अब एक कार्यक्रम शुरू किया है। आईआईटी खड़गपुर जैसे शिक्षण संस्थान इस नई पहल को सार्थक बनाने के लिए आगे आए हैं।

दरअसल यह एक तथ्य है कि हमारे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (जैसे मोटर, कंट्रोलर, कनवर्टर, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम, चार्जर) के लिए 90 प्रतिशत से अधिक कल-पुजरें और इसकी तकनीक का आयात किया जा रहा है। इसलिए, इस समस्या को दूर करने और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने इलेक्ट्रिक वाहन उप-प्रणालियों के स्वदेशी विकास के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है। प्रारंभ में, 2डबल्यू, 3डबल्यू के लिए प्रौद्योगिकी विकास शुरू किया गया है क्योंकि यह हमारी सड़कों पर 80 प्रतिशत से अधिक वाहनों में उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त कार्यक्रम के अंतर्गत आईआईटी खड़गपुर द्वारा ई-रिक्शा के लिए एक स्वदेशी, कुशल, सस्ती और प्रमाणित बीएलडीसी मोटर और स्मार्ट नियंत्रक विकसित किया है। वाणिज्यिक उत्पादन के लिए यह प्रौद्योगिकी मैसर्स ब्रशलेस मोटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी गई है।



इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के मुताबिक यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण डिजिटल इंडिया सप्ताह के हिस्से के रूप में हुआ है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 जुलाई, 2022 को गुजरात के गांधीनगर में किया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी खड़गपुर द्वारा ई-रिक्शा के लिए बीएलडीसी मोटर और स्मार्ट नियंत्रक के लिए विकसित यह स्वदेशी तकनीक वाणिज्यिक उत्पादन के लिए हस्तांतरित की गई है। इस तकनीक को इलेक्ट्रिक वाहन उप-प्रणालियों के स्वदेशी विकास के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित किया गया है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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