Budget 2022: राज्यसभा में वित्त मंत्री सीतारमण बोलीं- आम बजट में आजाद भारत के 100 साल को लेकर दूरदृष्टि

Last Updated 11 Feb 2022 11:56:08 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि आम बजट 2022-23 का महत्वपूर्ण उद्देश्य निरंतरता को बनाए रखना है और इससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।


अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा संकुचन के बावजूद खुदरा मुद्रास्फीति की दर 6.2 फीसदी रही : निर्मला

राज्यसभा में बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस बजट में भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने को लेकर एक दूरदृष्टि है और इसके मद्देनजर सरकार का ध्यान विकास पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि आने वाले 25 साल भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ में कहां होगा, यदि इसके बारे में एक दूरदृष्टि नहीं होगी तो हमें उसका खामियाजा ठीक उसी तरह भुगतना होगा, जैसा हमने पहले 70 सालों में उठाया। और इनमें से 65 साल कांग्रेस ने शासन किया। उस कांग्रेस ने, जिसके पास कोई दूरदृष्टि नहीं थी सिवाय एक परिवार को फायदा पहुंचाने के।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को 9.57 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि 2008-09 की वैश्विक मंदी में 2.12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा संकुचन के बावजूद खुदरा मुद्रास्फीति की दर 6.2 प्रतिशत रही : निर्मला
उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2008-09 में जब वित्तीय संकट कम गंभीर था, मुद्रास्फीति की दर 9.1 प्रतिशत थी जबकि महामारी का अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रभाव पड़ा लेकिन उस दौरान यह दर 6.2 प्रतिशत रही।’’ कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह भारतीय कृषि को बेहतर और आधुनिक बनाने में कारगर साबित होगा।

वित्त मंत्री ने राज्यसभा में आम बजट पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट निरंतरता, कराधान के अनुमान और अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए है। उन्होंने कहा कि बजट का मकसद अर्थव्यवस्था को स्थिर और स्थायी प्रोत्साहन देना है।

उन्होंने 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान संप्रग सरकार के प्रदर्शन की तुलना करते हुए कहा कि उस वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति की दर 9.1 प्रतिशत थी, जबकि कोविड महामारी के दौरान यह 6.2 प्रतिशत रही जबकि अर्थव्यवस्था पर इसका काफी अधिक प्रभाव पड़ा है।

वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा संकुचन हुआ। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी के कारण 9.57 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि 2008-09 में वैश्विक मंदी के समय 2.12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

उन्होंने कहा कि राजस्व व्यय की तुलना में पूंजीगत व्यय कई गुना अधिक लाभ देता है और इसलिए सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में वृद्धि करने पर जोर दिया है।

सीतारमण ने कहा कि सरकार स्टार्टअप को भी बढ़ावा दे रही है जिसके फलस्वरूप महामारी के दौरान कई ‘यूनिकॉर्न’ की स्थापना हुयी।

भाषा
नई दिल्ली


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