मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट मंगलवार को, दुश्वारियों के बीच राहत की आस

Last Updated 01 Feb 2022 01:37:33 AM IST

वर्ष 2022-23 में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर आठ से साढ़े आठ प्रतिशत रह सकती है, बशर्ते कोरोना महामारी भयंकर रूप धारण न करे, मानसून सामान्य रहे और तेल की कीमतें 70-75 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेंगी।


वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण

दरअसल यह अनुमान आर्थिक सर्वेक्षण में लगाया गया है। सर्वेक्षण ने स्पष्ट रूप से वित्तमंत्री के सामने चुनौतियों की फेहरिस्त पेश कर दी है। देश ने बजट से बहुत सी उम्मीदें लगाई हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण उपजे परिस्थितियों के कारण सरकार के पास विकल्प सीमित हैं।

मोदी सरकार के पास कड़े फैसले लेने के लिए मंगलवार को पेश होने वाला बजट ही बचा है। अगला बजट 2024 के आम चुनाव को ध्यान में रखकर लोकलुभावन बजट पेश किया जाएगा। इस बार आम लोगों ने बजट से बड़ी उम्मीदें लगायी हैं, लेकिन सरकार के पास विकल्प सीमित हैं। निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था में तेजी दिख रही है, लेकिन राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा चिंता का विषय है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में मंगलवार सुबह 11 बजे लगातार चौथा बजट पेश करेंगी। 2020 से वह कोरोना महामारी के कारण ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को संभालने में व्यस्त हैं। पिछले बजट में भी उन्होंने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अनेक प्रयास किये थे, उनके कुछ सकारात्मक परिणाम तो दिखे लेकिन उम्मीद के अनुसार नहीं दिखे। इस बार उनसे ज्यादा उम्मीदे हैं, क्योंकि इस बार लॉक डाउन नहीं लगाया गया।

जीएसटी की उगाही भी बढ़ते हुए क्रम में है और आयकर देने की वालों की संख्या भी बढ़ी है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था की ग्रोथ को रोजगारोन्मुख बनाना है, क्योंकि अभी तक जो वृद्धि देखी गई वह देश के  लिहाज से उचित है लेकिन उससे ज्यादा रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं। दूसरी चुनौती महंगाई पर काबू पाना है। महंगाई के कारण सारा देश त्रस्त है।

उनके सामने यह भी चुनौती हैं कि पांच राज्यों के चुनाव के समय से कड़े कदम उठाने वाला बजट कैसे पेश किया जाए।  उनके कड़े कदमों से भाजपा  को नुकसान हो सकता है। उनके सामने चुनौती राजकोषीय घाटा कम करने की है। पिछले साल राजकोषीय घाटा साढ़े नौ प्रतिशत से अधिक था, जो 2021-22 में घटकर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है लेकिन सरकार ने राजकोषीय घाटा चार से पांच प्रतिशत के बीच रखने का लक्ष्य रखा था।

इसी तरह चालू खाता घाटा भी लगातार बढ़ रहा है, यानि  निर्यात से ज्यादा आयात पर खर्च बढ़ रहा है। आर्थिक समीक्षा ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 8-8.5 प्रतिशत रह सकती है, बशर्ते कारोना महामारी लेकर आगे कोई आर्थिक गतिरोध नहीं पैदा होगा, मानसून सामान्य रहेगा, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों द्वारा नकदी प्रवाह को कम करने का प्रस्तावित काम व्यवस्थित ढंग से होगा, तेल की कीमतें 70-75 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेंगी तथा वर्ष के दौरान वैिक आपूर्ति श्रृंखलाओं की रुकावटें धीरे-धीरे कम हो जाएगी।

रोशन/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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