आधार के फरमान से ईपीएफ का अंशदान नहीं हो रहा जमा

Last Updated 13 Jun 2021 03:46:39 AM IST

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खातों को आधार से जोड़ने के सरकारी फरमान की वजह से लाखों कर्मियों/श्रमिकों की भविष्य निधि की राशि उनके खाते में जमा नहीं हो पा रही है।


आधार के फरमान से ईपीएफ का अंशदान नहीं हो रहा जमा

उन खातों में भी राशि जमा नहीं हो रही है जिनके आधार कार्ड और ईपीएफओ का रिकार्ड मेल नहीं खा रहा है। इनमें कई खाते तो ऐसे भी हैं जो 20-25 साल पुराने हैं।
आश्चर्य का विषय यह है कि श्रमिकों/कर्मियों के वेतन से ईपीएफ का अंशदान काटा जा रहा है, जो इस महीने से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की बजाय नियोक्ता के पास ही पड़ा रहेगा। चूंकि अंशदान कर्मियों/श्रमिकों के ईपीएफ खाते में जमा नहीं हो रहा है, लिहाजा उन्हें इस राशि पर ईपीएफओ से ब्याज भी नहीं मिलेगा। सरकार के स्तर पर जल्द इस विषय का समाधान नहीं निकाला गया तो बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) के सदस्यों के लिए आधार की अनिवार्यता समाप्त करने वाली सरकार ने ईपीएफओ के मामले में ऐसा बेतुका निर्णय क्यों लिया? वैसे तेलंगाना हाईकोर्ट अभी कुछ समय पहले ही ईपीएफ खातों को आधार से जोड़ने के लिए बाध्य नहीं करने की बात कह चुका है।
ईपीएफ खातों को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता वाले फरमान से ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के न्यासी भी नाखुश हैं। न्यासी हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि सरकार न्यासियों से पूछे बिना एक तरफा निर्णय ले रही है और आधार की अनिवार्यता वाला उसका फैसला भी अव्यवहारिक है। आरएसएस के श्रमिक संगठन बीएमएस के महासचिव बिनॉय कुमार सिन्हा ने भी इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने श्रम मंत्री संतोष गंगवार को पत्र लिखकर आधार की अनिवार्यता वाले फैसले को तुरंत वापस लेने को कहा है। बीएमएस के महासचिव इस मुद्दे पर सोमवार को श्रम मंत्री से मुलाकात भी करेंगे। उनका कहना है कि जिस सामाजिक सुरक्षा कोड के नियम 142 का हवाला देकर श्रमिकों/कर्मियों के ईपीएफ खाते के लिए आधार को अनिवार्य बनाया गया है, उसे तो पूरी तरह अधिसूचित ही नहीं किया गया है।

 उन्होंने इस विषय में ईएसआई का भी उदाहरण दिया, जिसके लिए सरकार ने स्पष्ट किया है कि उक्त कोड के पूरी तरह अधिसूचित हुए बिना उसके सदस्यों के लिए आधार लिंक करना अनिवार्य नहीं है। बीएमएस के महासचिव ने कहा कि सरकार को इस बात को समझना चाहिए कि बीड़ी मजदूर समेत लाखों श्रमिकों के या तो आधार कार्ड नहीं बने हैं या फिर उसमें जन्मतिथि, आवास का पता इत्यादि में खामियां हैं। उन्होंने कहा कि आधार के स्थान पर नियुक्त पत्र, शपथ पत्र इत्यादि से भी काम चलाया जा सकता है। बीएमएस नेता ने कहा कि आधार और ईपीएफओ का रिकार्ड आपस में मेल नहीं खाने पर अंशदान जमा नहीं करने का फैसला तो पूरी तरह अनुचित है।
आधार वाली समिति की कभी बैठक नहीं हुई : ईपीएफ खातों को आधार से जोड़ने के मसले पर विचार करने के लिए 2019 में तीन सदस्यों की समिति अवश्य बनाई गई थी लेकिन इसकी कभी बैठक ही नहीं हुई। समिति बनाने का फैसला ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में लिया गया था। बिरजेश उपाध्याय (श्रमिक) और सौगत राय चौधरी (नियोक्ता) को इसका सदस्य बनाया गया था। उपाध्याय कहते हैं कि खातों को आधार से जोड़ने का विचार इसलिए आया था ताकि खाताधारक का रिकार्ड ठीक हो जाए। उन्होंने कहा कि यह विचार अच्छा है लेकिन आधार कार्ड को कारण बनाकर श्रमिक का अंशदान जमा नहीं करना ठीक नहीं है।

अजय तिवारी/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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