एमजीएफ के मालिक पर हैं मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोप, भगोड़े श्रवण गुप्ता को प्रत्यर्पण करा भारत लाने की तैयारी !

Last Updated 16 Jan 2021 11:47:06 PM IST

भारत सरकार और संयुक्त अरब अमीरात ने धोखाधड़ी और हवाला के जरिए विदेशों में पैसा भेजने वाले एमजीएफ के मालिक श्रवण गुप्ता पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।


एमजीएफ के मालिक श्रवण गुप्ता

इंटपोल कभी भी जारी कर सकती है लुक आउट नोटिस

बीते साल ब्रिटेन भागे श्रवण गुप्ता का प्रत्यर्पण कराने की तैयारी भी शुरू हो गई है। सूत्रों की माने तो श्रवण के तार 36 सौ करोड़ के बहुचर्चित अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाले से भी जुड़े हुए हैं। उसके ठिकानों पर हुई छापेमारी के दौरान सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। कॉमनवैल्थ ऑफ़ डोमिनिसिया की नागरिकता का आवेदन कर चुके श्रवण के खिलाफ इंटरपोल कभी भी लुक आउट नोटिस जारी कर सकती है।

36 सौ करोड़ के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले से भी जुड़े है तार

सूत्रों के अनुसार 3600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में मॉरिशस की जिस कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज ने प्रमुख रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की थी, उसी कंपनी ने श्रवण गुप्ता की नामी और बेनामी कंपनियों में करोडो रुपए स्थानांतरित किए थे। श्रवण गुप्ता की चार कंपनियों के खातों में इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने 19.5 करोड़ रुपए  का भुगतान किया था। जबकि साढ़े चार करोड़ रुपए उसकी अन्य बेनामी कंपनियों के खतों में जमा किए गए थे।

दिसम्बर 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने श्रवण गुप्ता की कंपनियों की 10.28 करोड़ रुपए कीमत की सम्पतियाँ विदेशी मुद्रा अधिनियम के तहत जब्त कर ली। उस पर आरोप है की उसने अवैध रूप से हवाला के माध्यम से स्विस बैंक में भी करोडो रुपए जमा कराए हुए हैं। इससे सम्बंधित एक मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। रियाल एस्टेट बिजनेस में दखल रखने वाला श्रवण गुप्ता एमजीफ ऑटोमोबाइल, एमजीएफ डेवलपमेंट, एमजीएफ हाउसिंग, एमजीएफ इन्फोटेक, एमजीएफ मेट्रो मॉल, एमजीएफ मोटर्स, एमजीएफ प्रोमोटर्स, पेरिस रिसोर्ट और यशोदा प्रोमोटर्स आदि कई दर्जन कंपनियों में निदेशक है।

आरोप है कि श्रवण और उसकी पत्नी ने दुबई की मशहूर रियाल एस्टेट कंपनी एम्मार प्रॉपर्टीज से भी धोखाधड़ी कर 43.5 करोड़ रुपए ठग लिए। उसने दुबई की कंपनी से अपनी साझेदारी के दौरान संयुक्त रूप से अधिग्रहित किए गए 18 बेशकीमती भूखंडों को दस गुना कम दाम पर अपनी और अपनी पत्नी के 99 फीसदी शेयर वाली कंपनी डिस्कवरी एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम स्थानांतरित करा लिया था। ताकि बाद में उन्हें कई गुना ज्यादा दाम पर बेचकर करोडो रुपए कमा सके।
जांच एजेंसियों की माने तो शातिर दिमाग श्रवण कानूनी दाँवपेंचो का सहारा लेकर न्यायिक प्रक्रिया को भी गुमराह करने में कामयाब रहा। यही वजह है कि हैदराबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने जानवरी 2019 में उसे विदेश जाने की अनुमति दे दी। प्रवर्तन निदेशालय ने उसे नोटिस भेजकर 23 नवम्बर 2019 को पूछताछ के लिए बुलाया था। मगर श्रवण ने एजेंसी को भेजे गए चिकित्सा प्रमाणपत्र में छह दिन आराम की चिकित्सीय सलाह का हवाला देकर जांच में सहयोग नहीं किया और दो दिन बाद यानि 26 नवम्बर को इंग्लैण्ड भाग गया। जांच एजेंसी ने एक के बाद एक नौ नोटिस भेजकर उसे पूछताछ के लिए बुलाया। मगर ना तो उसने उसने जांच में सहयोग किया कर ना ही मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। जिसके बाद 29 अगस्त 2020 को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया। तभी से श्रवण जांच एजेंसी या अदालत के सामने पेश नहीं हुआ है।
उसके काले कारनामों का खुलासा करने में जुटी सीबीआई ने 24 जून 2020 को गुप्ता और उसकी सहयोगी कंपनियों के दिल्ली और गुडगाँव सहित नौ ठिकानों पर छापे मारे थे। इस दौरान अनेक ऐसे दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस बरामद हुए, जिनमे गुप्ता के काले कारनामों का लेखाजोखा दर्ज है। इसके अगले ही दिन प्रवर्तन निदेशालय ने श्रवण के सात ठिकानो पर छापा मारकर 3600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की छानबीन भी की थी।
जांच एजेंसियों को भनक लगी है कि फिलहाल इंग्लॅण्ड में मौजूद भगोड़े श्रवण ने परिवार सहित द्वीप देश "कॉमनवैल्थ ऑफ़ डोमिनिसिया" की नागरिकता के लिए आवेदन किया हुआ है। ताकि वह जांच एजेंसियों की गिरफ्त मी आने से बच सके। लेकिन दुबई की कंपनी के से की गई धोखाधड़ी से नाराज संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत सरकार ने भी श्रवण गुप्ता पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सरकार ने इंटरपोल की मदद से उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कराने के साथ ही ब्रिटेन से उसका प्रत्यार्पण कराने की कवायद भी शुरू कर दी है।

सहारा न्यूज ब्यूरो/सुबोध जैन
नई दिल्ली


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