अब हजारों करोड़ की धोखाधड़ी !
वित्तीय संस्थानों से हजारों करोड़ रुपए का ऋण लेकर डकार जाने का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसमें मात्र 37 करोड़ रुपए की पूंजी वाली एक संदिग्ध कंपनी को बिना जांच किए 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण दे दिया गया और बड़ी आसानी से उसे गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में डाल दिया गया।
अब हजारों करोड़ की धोखाधड़ी ! |
यह मामला है कि तमिलनाडु की एक संयुक्त उपक्रम कंपनी आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जिसमें पावरजेन तथा एक मलयेशियाई कंपनी मुदाजया कारपोरेशन बेरहाड मलयेशिया की हिस्सेदारी है। इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में कोयला आधारित तापीय विद्युत परियोजना स्थापित करने का ठेका हासिल किया लेकिन उसकी अब तक एक ही इकाई आंशिक रूप से शुरू कर पाई।
सूत्रों ने कहा कि किसी राजनेता से जुड़ी इस बेनामी कंपनी की अंशधारक आरके पावरजेन लिमिटेड की शेयर पूंजी 37 करोड़ रुपए एवं चुकता पूंजी करीब 19 करोड़ रुपए है लेकिन आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड ने मलयेशियाई हिस्सेदारी के माध्यम से दो हजार करोड़ रुपए की पूंजी संदिग्ध स्रोतों के माध्यम से संयुक्त उपक्रम कंपनी में दिखाई और बाद में इस संदिग्ध पूंजी को दिखा कर कंपनी ने पावर फाइनेंस कारपोरेशन (पीएफसी) से दस हजार करोड़ रुपए का भारी ऋण लिया जबकि उसके पास 25 प्रतिशत इक्विटी की पूंजी भी नहीं थी।
छत्तीसगढ़ में ताप विद्युत गृह बनाने का ठेका लेने से पहले न तो इस कंपनी को और न ही उसकी मलेशियाई अंशधारक कंपनी को बिजली बनाने का कोई अनुभव था। मुदाजया कारपोरेशन बेरहाड मलयेशिया एक निर्माण कंपनी मात्र है। सूत्रों के अनुसार इस कंपनी ने सबसे पहले 5000 करोड़ रुपए भारी ऋण लिया पर ताप विद्युत गृह नहीं बनाया और जब ब्याज चुकाने की बारी आई तो बैंकों से दो हजार करोड़ का ऋण लिया और उससे ब्याज चुकता किया और बाकी की रकम डकार ली। ऐसा कई बार किया गया। ये सारा लेनदेन वर्ष 2006 से 2015 के बीच का है।
सूत्रों ने बताया कि 2015-16 के बाद फर्जी कंपनियों पर नकेल कसने के लिए शुरू हुए अभियान में हाल ही में इस संदिग्ध कंपनी के रहस्यमय कारोबार का खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार मात्र 37 करोड़ रुपए की पूंजी वाली कंपनी फर्जीवाड़ा करके पीएफसी और इंडियन बैंक से 11 हजार 350 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण हासिल कर ले और बाद में इसे एनपीए की श्रेणी में डाल दिया जाए यह सीधा सीधा जनता की गाढ़ी कमाई को हड़पने का मामला है।
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