रियल इस्टेट परियोजना के 100 निवेशक मिलकर शुरू कर सकेंगे दिवाला प्रक्रिया

Last Updated 12 Dec 2019 02:56:29 PM IST

सरकार ने शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता में संशोधन के लिए एक विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि रियल इस्टेट परियोजनाओं के 100 निवेशक मिलकर कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 सदन में पेश किया। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुये इस विधेयक को जल्दबाजी में लाने की जरूरत पड़ी। मकान के लिए निवेश करने वाले छोटे निवेशकों के दिमाग में इस संहिता को लेकर कुछ आशंकायें थीं और इसलिए स्पष्टता की जरूरत थी।

इससे पहले विपक्ष ने यह कहते हुये विधेयक को पेश किये जाने का विरोध किया कि सदस्यों को इसकी प्रति के अध्ययन के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इसी सदन ने पिछले सा में संहिता में एक और संशोधन पारित किया था। यह वित्तीय मामलों में सरकार में निरंतरता के अभाव को दर्शाता है। उन्होंने विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की माँग की ताकि इस पर विस्तार से विचार हो सके।


श्री चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि नियमानुसार 48 घंटे पहले विधेयक की प्रति सदस्यों को उपलब्ध नहीं कराकर उनके अधिकारों का महज इसलिए हनन कर रही है क्योंकि उसके पास बहुमत है।

विधेयक में प्रावधान है कि 100 निवेशक मिलकर भी रियल इस्टेट परियोजना लाने वाली कंपनी के खिलाफ संयुक्त रूप से दिवाला प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि किसी परियोजना में 1000 से कम निवेशक हैं तो कम से कम 10 प्रतिशत निवेशक भी मिलकर संयुक्त रूप से आवेदन कर सकते हैं।

विधेयक में यह भी प्रावधान है कि जिस कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया उसे जारी कोई भी लाइसेंस, परमिट, पंजीकरण, कोटा, रियायत, मंजूरियाँ अथवा केंद्र, राज्य सरकारों, स्थानीय प्राधिकरों या अन्य किसी नियमाक द्वारा दिया गया कोई भी अधिकार इस प्रक्रिया के शुरू होने की वजह से रद्द नहीं होगा जब तक कंपनी इनके लिए जरूरी शुल्क आदि का भुगतान नियमित रूप से कर रही है।

शोधन अक्षमता तथा दिवाल प्रक्रिया के दौरान कंपनी की ‘वैल्यू’ की रक्षा के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) जिन वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति जरूरी समझता है उनसे कंपनी को वंचित नहीं रखा जा सकता, बशत्रे कंपनी इनके लिए भुगतान के लिए तैयार हो।



साथ ही इसमें यह व्यवस्था की गयी है कि समाधान प्रक्रिया शुरू होने से पहले कंपनी के किसी भी फैसले या चूक के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जो उस समय कंपनी की बोर्ड का सदस्य न रहा हो या जिसे ऐसे मामलों की जाँच के बाद निर्दोष पाया गया हो।

वार्ता
नयी दिल्ली


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