आरबीआई ने नहीं घटाया रेपो रेट, ब्याज सस्ता होने की उम्मीद कम

Last Updated 05 Dec 2019 12:14:35 PM IST

चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मंहगाई के बढ़ने और आर्थिक विकास के 5.0 प्रतिशत पर आने का अनुमान को जताते हुये रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है जिससे घर, वाहन आदि के लिए सस्ते ऋण की उम्मीद लगाये लोगों को निराश होना पड़ेगा।


आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास

रिजर्व बैंक ने लगातार पांच वार में रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका था और इस बार इस छठवीं बैठक में ब्याज दरों में कम से कम एक चाथाई फीसदी की कमी किये जाने की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर छह वर्ष के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी है।

केन्द्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। शुक्रवार को बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई बढ़कर 5.1 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत के बीच पहुंच सकती है। समिति ने वैश्विक और घरेलू कारकों से आर्थिक विकास में आयी सुस्ती का हवाला देते हुये चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.0 प्रतिशत कर दिया है।

समिति ने रेपो दर को 5.15 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 4.90 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 5.40 प्रतिशत, बैंक दर 5.40 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4.0 प्रतिशत और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 18.50 प्रतिशत पर यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है। रेपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है।

बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक बैठक में दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई के 3.5 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था लेकिन वर्तमान वैश्विक घटनाक्रमों और घरेलू स्तर पर खरीफ सीजन में बुआई के आंकड़ों को देखते हुये इस अनुमान को बढ़ाकर 5.1 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना जतायी गयी है। इसके साथ वित्त वर्ष 2020--21 की पहली छमाही में इसके घटकर 4.0 प्रतिशत से 3.8 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है।

समिति ने कहा है कि चौथी बैठक में चालू वित्त वर्ष में विकास अनुमान 6.1 प्रतिशत व्यक्त किया गया था लेकिन अभी घरेलू और वैश्विक मांग में सुस्ती बनी हुयी है। रिजर्व बैंक के कारोबारी भारोसा सूचकांक सर्वेक्षण का हवाला देते हुये कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कारोबारी भरोसा बढ़ेगा।  उसने कहा कि हाल ही सरकार ने भी मांग बढ़ाने के उपाय किये है और रिजर्व बैंक इस वर्ष फरवरी से ही नीतिगत दरों में कमी कर अर्थव्यवस्था में लागत को कम करने की दिशा में काम किया है जिससे मांग बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है। आने वाले महीने में इन उपायों के असर दिख सकते हैं।

केन्द्रीय बैंक ने इसके मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को 6.1 प्रतिशत से कम कर 5.0 प्रतिशत कर दिया है। दूसरी छमाही में इसके 4.9 से 5.5 प्रतिशत के बीच और अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसके 5.9 से 6.3 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

समिति के सभी सदस्यों ने इस निर्णय के पक्ष में मतदान किया। समिति ने एकोमोडेटिव रूख बनाये रखने का भी निर्णय लिया है जिससे आगे ब्याज दरों में कमी किये जाने की उम्मीद बनी हुयी है। समिति की अगली और चालू वित्त वर्ष की छठवीं द्विमासिक समीक्षा बैठक 4 से 6 फरवरी 2020 को होगी।

मौद्रिक नीति की मुख्य बातें

 रेपो दर 5.15 प्रतिशत
. रिवर्स रेपो दर4.90 प्रतिशत
. मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 5.40 प्रतिशत
. बैंक दर 5.40 प्रतिशत
. नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) 4.0 प्रतिशत
. वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर)18.50 प्रतिशत
. चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.0 प्रतिशत किया
. अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में विकास अनुमान 5.9 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान
. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा महंगाई के बढ़कर 5.1 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना
. समिति की छठी द्विमासिक समीक्षा बैठक अगले वर्ष चार से छह फरवरी तक

वार्ता
नई दिल्ली


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