शिवकाशी दीपावली के लिए हरित पटाखा की बिक्री को तैयार
प्रदूषण के मद्देनजर 2018 में पारंपरिक पटाखों पर लगाए गए उच्चतम न्यायालय के प्रतिबंध से पटाखा उद्योग बेहद प्रभावित हुआ था, लेकिन शिवकाशी हरित पटाखों की बिक्री के लिए इस साल पूरी तरह से तैयार है।
शिवकाशी दीपावली के लिए हरित पटाखा की बिक्री को तैयार |
पटाखा उद्योग शहर और इसके इर्दगिर्द करीब आठ लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। 2018 में प्रतिबंध लगने की वजह से यहां अच्छा कारोबार नहीं हुआ था।
चेन्नई से करीब 550 किलोमीटर दूर शिवकाशी को भरोसा है कि वह इस सीजन में हरित पटाखा की मांग पूरा कर सकेगा। पारंपरिक पटाखों की जगह पर्यावरण के अनुकूल पटाखे बनाने के लिए इस उद्योग ने कई तरह के प्रयोग किए। यहां 1,000 उत्पादन इकाइयां हैं। इनका सालाना टर्नओवर 6,000 करोड़ रुपए है।
राज्य में इस उद्योग की शीर्ष इकाई तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड एमोर्सेस मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (टीएनएफएएमए) के अनुसार पटाखा निर्माण से जुड़े श्रमिकों के एक-एक जत्थे को हरित पटाखा बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है और बाजार की हरित पटाखों की मांग पूरा करने में इस मौसम में कोई कमी नहीं होगी। इस साल दिवाली 27 अक्टूबर को है। टीएनएफएएमए के अध्यक्ष पी. गणेशन ने बताया कि हरित पटाखा का निर्माण इस साल मार्च से शुरू हुआ।
इस पटाखे के निर्माण और श्रमिकों के प्रशिक्षण के लिए नागपुर के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) का सहारा लिया गया।
प्रयोग के आधार पर यह पाया गया कि बैरियम नाइट्रेट के वैकल्पिक रसायन का इस्तेमाल करके हरित पटाखा बनाया जा सकता है। गणेशन का दावा है कि हरित पटाखा का इस्तेमाल करने से प्रदूषक तत्व 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसमें ध्वनि प्रदूषण 160डीबी से नीचे लाकर 125 डीबी हो सकता है। बहरहाल, यह अब भी तय किए गए 90डीबी से अधिक है।
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