नोटबंदी के पक्ष में नहीं था रिजर्व बैंक

Last Updated 12 Mar 2019 05:24:18 AM IST

केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल ने देश की आर्थिक वृद्धि पर नाटेबंदी का अल्पकालीन नकारात्मक प्रभाव पड़ने को लेकर आगाह किया था और कहा कि इस अप्रत्याशित कदम का कालाधन की समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस प्रभाव नहीं पड़ेगा।


नोटबंदी के पक्ष में नहीं था रिजर्व बैंक (file photo)

निदेशक मंडल में आरबीआई के मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल थे।
सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में दिए गए बैठक के ब्योरे के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आठ नवम्बर 2016 को नोटबंदी की घोषणा को लेकर राष्ट्र को संबोधन से केवल ढाई घंटे पहले आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक हुई। सरकार के 500 और 1,000 रुपए के नोट को चलन से हटाए जाने के कदम का मुख्य मकसद काला धान पर अंकुश लगाना था। चलन वाले कुल नोट में बड़ी राशि के नोट की हिस्सेदारी 86 फीसद थी।

ब्योरे के अनुसार महत्वपूर्ण बैठक में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास मौजूद थे। इसमें शामिल अन्य सदस्य तत्कालीन वित्त सचिव अंजलि छिब दुग्गल, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एसएस मूंदड़ा थे। गांधी और मूंदड़ा दोनों अब निदेशक मंडल में शामिल नहीं है। वहीं दास को दिसम्बर 2018 में आरबीआई का गवर्नर बनाया गया था। बोर्ड की बैठक में सरकार के नोटबंदी के अनुरोध को मंजूरी दी।

भाषा
नई दिल्ली


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